________________
अट्ठारसम सतं (दसमो उद्देसो)
७८९ तत्थ ण जेते अत्थमासा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सुवण्णमासा य, रुप्पमासा य । ते ण समणाण निग्गथाण अभक्खेया। तत्थ ण जेते धण्णमासा ते दुविहा पण्णत्ता, त जहा- सत्थपरिणया य, असत्य
परिणया य । एव जहा धण्णसरिसवा जाव से तेणटेण जाव अभक्खेया वि ।। २१७. कुलत्था ते भते । किं भक्खेया ? अभक्खया?
सोमिला | कुलत्था मे भक्खेया वि अभक्खेया वि ॥ २१८ से केणटेण जाव अभक्खेया वि ?
से नूण भे सोमिला | वभण्णएसु नएसु दुविहा कुलत्था पण्णत्ता, त जहाइत्थिकुलत्था य, धण्णकुलत्था य।। तत्थ ण जेते इत्थिकुलत्था ते तिविहा पण्णत्ता, त जहा- 'कुलवधुया इवा, कुलमाउया इ वा, कुलधुया" इ वा । ते ण समणाण निग्गथाण अभक्खेया। तत्थ ण जेते धण्णकुलत्था एव जहा धण्णसरिसवा। से तेणद्वेण जाव
अभक्खेया वि ।। २१६ एगे भव ? दुवे भव ? अक्खए भव ? अव्वए भव ? अवट्ठिए भव ? अणेगभूय
भाव-भविए भव ?
सोमिला | एगे वि अह जाव अणेगभूय-भाव-भविए वि अह ॥ २२० से केणतुण भते । एव वुच्चइ'-°एगे वि अह जाव अणेगभूय-भाव-भविए
वि अह? सोमिला | दव्वट्ठयाए एगे अह, नाणदसणट्ठयाए दुविहे अह, पएसट्टयाए अक्खए वि अह, अव्वए वि अह, अवट्ठिए वि अह, उवयोगट्ठयाए अणेगभूय-भाव-भविए
वि अह । से तेणतुण जाव अणेगभूय-भाव-भविए वि अह ।। २२१ ___एत्थ ण से सोमिले माहणे सवुद्धे समणं भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता
नमसित्ता एव वयासी-जहा खदो जाव' से जहेय तुन्भे वदह । जहा ण देवाणुप्पियाण अतिए बहवे राईसर-तलवर-माडबिय-कोडुबिय-इन्भसेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहप्पभितो "मुडा भवित्ता ण अगाराओ अणगारिय पव्वयति, नो खलु अह तहा सचाएमि', अह ण देवाणुप्पियाण अतिए दुवालसविह सावगधम्म पडिवज्जिस्सामि° जाव दुवालसविह सावगधम्म पडिवज्जति, पडिवज्जित्ता समण भगव महावीर वंदति' 'नमसति, वदित्ता नमसित्ता जामेव
दिस पाउन्भूए तामेव दिस° पडिगए ।। १ कुलकण्णया इ वा कुलमाउया इ वा कुल- ४ पू०-राय० सू० ६६५ । वहुया (अ, क, ता, ब, स)।
५. स० पा०–एवं जहा रायपसेणइज्जे चित्तो। २. स० पा०-बुच्चइ जाव भविए।
६. पू०-राय० सू० ६६५। ३ भ०२।५०-५२।
७. स० पा०-वदति जाव पडिगए।