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________________ सत्तम सत (नवमो उद्देसो) ३०३ १८३. तए णं से कूणिए राया रहमुसल सगाम उवडिय' जाणित्ता कोड बियपुरिसे सद्दावेड, सद्दावेत्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया | भूयाणद हत्थिरायं पडिकप्पेह, हय-गय-रह-पवरजोहकलिय चाउरगिणि सेण सण्णाहेह, सण्णाहेत्ता मम एयमाणत्तिय खिप्पामेव पच्चप्पिणह ।। १८४ तए ण ते कोड वियपुरिसा कोणिएणं रण्णा एव वुत्ता समाणा हट्टतुटुचित्तमाण दिया जाव' मत्थए अलि कटु एव सामी । तहत्ति प्राणाए विणएण वयण पडिसुणति, पडिसुणित्ता खिप्पामेव छयायरियोवएस-मति-कप्पणा-विकप्पेहि सुनिउणेहि उज्जलणेवत्थ-हव्वपरिवच्छिय सुसज्ज जाव' भीम सगामिय अोझ भूयाणद हत्थिराय पडिकप्पेति, हय-गय-रह-पवरजोहकलिय चाउरगिणिं सेण सण्णाहेति, सण्णाहेत्ता जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अजलि कटु कूणियस्स रण्णो तमाणत्तिय पच्चप्पिणति ।। १८५ तए ण से कूणिए राया जेणेव मज्जणघर तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता मज्जणघर अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता हाए कयवलिकम्मे कयकोउय-मगलपायच्छित्ते सव्वालकारविभूसिए सण्णद्ध-वद्ध-वम्मियकवए उप्पीलियस रासणपट्टिए पिणद्धगेवेज्ज-विमलवरवद्धचिंधपट्टे गहियाउहप्पहरणे सकोरेटमल्लदामेण छत्तेण धरिज्जमाणेण च उचामरबालवीजियगे, मगलजयसद्दकयालोए जाव जेणेव भूयाणदे हत्थिराया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भूयाणद हत्थिराय दुरूढे ॥ १८६ तए ण से कूणिए राया हारोत्थय-सुकय-रइयवच्छे जाव' सेयवरचामराहिं उद्धव्वमाणीहि-उद्धवमाणीहिं हय-गय-रह-पवरजोहकलियाए चाउरगिणीए सेणाए सद्धि सपरिवुडे महयाभडचडगरविंदपरिक्खित्ते जेणेव रहमुसले सगामे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रहमुसल सगाम अोयाए। पुरओ य से सबके देविदे देवराया एग मह अभेज्जकवय वइरपडिरूवग विउव्वित्ता ण चिट्ठइ । मग्गो य से चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया एग मह आयस किढिणपडिरूपग" विउव्वित्ता ण चिट्ठइ । एव खलु तग्रो इदा सगाम सगामें ति, त जहा-देविंदे य, मणुइदे य, असुरिदे य । एगहत्थिणा वि ण पभू कूणिए राया जइत्तए', १ स० पा०-सेस जहा महासिलाकटए नवर ४. ओ० सू० ६३ । भूयाणदे हत्थिराया जाव रहमुसल सगाम ५. ओ सू० ६५ । ओयाए। पुरओ य से सक्के देविदे देवराया ६. असुरराया (अ, स)। एव तहेव जाव चिट्ठइ। ७ कढिरण ° (अ), किड्ढिण ° (क, स)। २ ३।११०। ८ स० पा०-तहेव जाव दिसोदिसि । ३ ओ० सू० ५७ ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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