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भगवई १७७. तए ण से कूणिए राया' हारोत्थय-सुकय-रइयवच्छे जाव' सेयवरचामराहिं
उद्धव्वमाणीहिं-उद्धव्वमाणीहि हय-गय-रह-पवरजोहकलियाए चाउरगिणीए सेणाए सद्धि सपरिवुडे महयाभडचडगरविदपरिक्खित्ते जेणेव महासिलाकटए सगामे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता महासिलाकटग सगाम ओयाए । पुरो य से सक्के देविदे देवराया एग मह अभेज्जकवय वइरपडिरूवग विउव्वित्ता ण चिट्ठइ । एव खलु दो इदा सगाम सगामें ति, त जहा-देविदे य, मणइदे य । 'एगहत्थिणा वि ण पभू कूणिए राया जइत्तए", एगह त्थिणा वि ण पभू कूणिए
राया पराजिणित्तए । १७८ तए ण से कूणिए राया महासिलाकटग सगाम सगामेमाणे नव मल्लई, नव
लेच्छई-कासी-कोसलगा अलारस वि गणरायाणो हय-महिय-पवरवीर-घाइय
विवडियचिंध-द्धयपडागे किच्छपाणगए' दिसोदिसि पडिसेहित्था ।। १७६ से केण?ण भते । एव वुच्चइ--महासिलाकटए सगामे ?
गोयमा । महासिलाकटए ण सगामे वट्टमाणे जे तत्थ आसे वा हत्थी वा जोहे वा सारही वा तणेण वा कट्ठण वा पत्तेण वा सक्कराए वा अभिहम्मति, सव्वे से जाणेइ महासिलाए अह' अभिहए । से तेण?ण गोयमा | एव वुच्चइ
महासिलाकटए सगामे ।। १८०. महासिलाकटए ण भंते । सगामे वट्टमाणे कति जणसयसाहस्सीयो वहियायो ?
गोयमा | चउरासीइ जणसयसाहस्सीअो वहियात्रो॥ १८१ ते ण भते । मणया निस्सीला' निग्गुणा निम्मेरा० निप्पच्चक्खाणपोस
होववासा रुट्ठा परिकुविया समरवहिया अणुवसता कालमासे काल किच्चा कहिं गया ? कहिं उववण्णा ?
गोयमा | उस्सण्ण नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववण्णा ।। रहमुसलसंगाम-पद १८२ नायमेय अरहया, सुवमेय अरहया, विण्णायमेय अरहया-रहमुसले सगामे ।
रहमुसले ण भते । सगामे वट्टमाणे के जइत्था ? के पराजइत्था ? गोयमा । वज्जी, विदेहपुत्ते, चमरे असुरिंदे असुरकुमार राया जइत्था; नव मल्लई, नव लेच्छई पराजइत्था ॥
१ परिंदे (क, ता, व, म)। २ °वच्छे एव जहा उववाइए (अ, क, ता, व, ___ म, स)। ३ ओ० सू० ६५ । ४. X (अ, व, म, स)।
५. किच्छोवगयपाणे (ना० १।८।१६६) । ६. ह (क, व, म)। ७ म० पा०—निस्सीला जाव निप्पच्चक्खाण । ८ सगामे रह २ (ता)।