________________
३०१
सत्तम सत (नवमो उद्देसो) महासिलाकंटयसंगाम-पदं १७३ नायमेय अरहया, सुयमेय अरहया, विण्णायमेय अरहया-महासिलाकटए
सगामे । महासिलाकटए ण भते । सगामे वट्टमाणे के जइत्था? के पराजइत्था' ? गोयमा । वज्जी, विदेहपुत्ते जइत्था', नव मल्लई, नव लेच्छई-कासी-कोसलगा
अट्ठारस वि गणरायाणो पराजइत्था ॥ १७४ तए ण से कोणिए राया महासिलाकटग सगाम उवट्ठिय जाणित्ता कोडुबिय
पुरिमे सद्दावेड, सद्दावेत्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । उदाइ' हत्थिराय पडिकप्पेह, हय-गय-रह-पवरजोहकलिय चाउरगिणि सेण सण्णा हेह,
सण्णाहेत्ता मम एयमाणत्तिय खिप्पामेव पच्चप्पिणह ॥ १७५ तए ण ते कोडुवियपुरिसा कोणिएण रण्णा एव वुत्ता समाणा हट्टतुट्टचित्तमाणदिया
जाव मत्थए अजलि कट्ठ एव सामी तहत्ति आणाए विणएण वयण पडिसुणति, पडिसुणित्ता खिप्पामेव छेयायरियोवएस-मति-कप्पणा-विकप्पेहि सुनिउणेहि उज्जलणेवत्थ-हव्व-परिवच्छिय सुसज्ज जाव' भीम सगामिय अनोझ उदाइ हत्थिराय पडिकप्पेति, हय-गय-रह-पवरजोहकलिय चाउरगिणि सेण ° सण्णाहेति, सण्णाहेत्ता जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अलि कटु कूणियस्स रणो
तमाणत्तिय पच्चप्पिणति ॥ १७६. तए ण से कूणिए राया जेणेव मज्जणघर तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता
मज्जणघर अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता ण्हाए कयवलिकम्मे कयकोउय-मगलपायच्छित्ते सव्वालकारविभूसिए सण्णद्ध-बद्ध-वम्मियकवए उप्पीलियस रासणपट्टिए" पिणद्धगेवेज्ज"-विमलवरवद्धचिधपट्टे गहियाउहप्पहरणे सकोरेटमल्लदामेण छत्तेण धरिज्जमाणेण चउचामरवालवीजियगे मगलजयसद्दकयालोए जाव" जेणेव उदाई हत्थिराया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उदाइ हत्थिराय दुरूढे ॥
mr
"
१ पराजितत्था (ता)।
८ स० पा०-गय जाव सण्णा हेति । २ जदित्था (क, ता)।
६ स० पा०-करयल जाव कूरिणयस्स । ३ उदाथि (क, ता, व, म); उदाति (स)। १०. ° पट्टीए (अ, क, ब, म, स) । ४ भ० ३।११०।
११ पिरिणद्ध० (ता, म, स)। ५ सुरिणउणेहिं एव जहा ओववाइए जाव (अ, १२ °वीतियगे (अ, स), °वीतितगे (क, ब)।
क, ता, व, म, स)। वाचनान्तरे त्विद- १३ जत° (ब), ° कयलोए एव जहा उववाइए साक्षाल्लिखितमेव दृश्यते (वृ)।
(अ, क, ता, ब, म, स)। ६ ओ० सू० ५७ ।
१४ ओ० सू० ६३ । ७ अउज्झ (व, स)।