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________________ ६५८ भगवई भगवनो विहार-पदं २० तेण कालेण तेण समएण अह गोयमा | तोस वासाइ अगारवासमझावसित्ता' अम्मा-पिईहिं देवत्तगएहि समत्तपइण्णे एव जहा भावणाए जाव' एग देवदूसमादाय मुडे भवित्ता अगाराग्रो अणगारिय पव्वइए। २१ तए ण अह गोयमा । पढम वास अद्धमास अद्धमासेण खममाणे अट्ठियगाम निस्साए पढम अतरवास' वासावास उवागए। दोच्च वास मास मासेणं खममाणे पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे जेणेव रायगिहे नगरे, जेणेव नालंदा वाहिरिया, जेणेव ततुवायसाला, तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता प्रहापडिरूव प्रोग्गह रोगिण्हामि, योगिण्हित्ता ततुवायसालाए एगदेससि' वासावास उवागए ॥ पढम-मासखमण-पद २२ तए ण अहं गोयमा | पढम मासखमणं उवसपज्जित्ताण विहरामि ।। २३. तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते चित्तफलगहत्थगए मखत्तणेण अप्पाण भावेमाणे पुवाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे जेणेव रायगिहे नगरे, जेणेव नालदा वाहिरिया, जेणेव ततुवायसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ततुवायसालाए एगदेससि भडनिक्खेव करेड, करेत्ता रायगिहे नगरे उच्चनीय- मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे वसहीए सव्वो समता मग्गण-गवेसण करेइ, वसहीए सव्वग्रो समता मग्गण-गवेसण करेमाणे अण्णत्थ कत्थ वि वसहि अलभमाणे तीसे य ततुवायसालाए एगदेससि वासा वास उवागए, जत्थेव ण अह गोयमा । २४ तए ण अह गोयमा । पढम-मासक्खमणपारणगसि ततुवायसालानो पडिनिक्ख मामि, पडिनिक्खमित्ता नालद वाहिरिय मज्झमझेण निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता रायगिहे नगरे १ आगारवासमज्झे वसित्ता (अ, ख, व, म, ४ पव्वइत्तए (ता, स)। स), अगारवासमज्झे वसित्ता (क), अगार- ५ अतरावास (क, म, वृपा)। वासे वसित्ता (ता), अगारवास- गृहवास- ६ उवगए (ता)। मध्युष्य इति वृत्तिगतव्याख्यानुसारेण प्रस्तुत- ७ एगदेसमि (ब)। पाठः स्वीकृतः। ८ जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। २ देवत्तिगएहिं (क, ख, ता म); देवत्तेगतेहिं ६ स० पा०-नीय जाव अण्णत्थ । (व, स)। १० नालदा (अ)। ३. आयारचूला १५।२६-२६ । ११ मज्झेरण २ (क, ख, ता, व, म)।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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