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पन्तरसम सत
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उच्च-नीय'- मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए ° अडमाणे
विजयस्स गाहावइस्स गिह अणुपवितु ।। २५ तए ण से विजए गाहावई मम एज्जमाण पासइ, पासित्ता हतुटु' चित्तमाणदिए
णदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए° खिप्पामेव आसणामो अन्भुढेइ, अन्भुटेत्ता पायपीढायो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता पाउयानो अोमुयइ, प्रोमुइत्ता एगसाडिय उत्तरासंग करेड, करेत्ता अजलिमउलियहत्थे मम सत्तटुपयाइ अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता मम तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता मम वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता मम विउलेण असण-पाणखाइम-साइमेण पडिलाभेस्सामित्ति तुटे, पडिलाभेमाणे वि तुडे, पडिलाभिते
वि तुढे॥ २६ तए ण तस्स विजयस्स गाहावइस्स तेण दव्वसुद्धेण दायगसुद्धेण पडिगाहगसुद्धण
तिविहेण तिकरणसुद्धेण दाणेण मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निवद्धे, ससारे परित्तीकए, गिहसि य से इमाइ पच दिव्वाइ पाउन्भूयाइ, त जहा-वसुधारा वुट्ठा, दसद्धवण्णे कुसुमे निवातिए, चेलुक्खेवे कए, पाहयानो देवदुदुभीओ,
अतरा वि य ण आगासे अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे । २७. तए ण रायगिहे नगरे सिघाडग'-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह° -पहेसु
वहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एव भासइ एव पण्णवेइ° एव परूवेइधन्ने ण देवाणुप्पिया | विजये गाहावई, कयत्थे ण देवाणुप्पिया ! विजये गाहावई, कयपुण्णे ण देवाणु प्पिया । विजये गाहावई, कयलक्खणे ण देवाणुप्पिया | विजये गाहावई, कया ण लोया देवाणुप्पिया | विजयस्स गाहावइस्स, सुलद्धे ण देवाणुप्पिया | माणुस्सए जम्मजीवियफले विजयस्स गाहावइस्स, जस्स ण गिहसि तहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइ पंच दिव्वाइ पाउन्भूयाइ, त जहा-वसुधारा वुट्ठा जाव' अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे, त धन्ने कयत्थे कयपुण्णे कयलक्खणे, कया ण लोया, सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले विजयस्स गाहावइस्स, विजयस्स गाहावइस्स ॥ तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते बहुजणस्स अतिए एयम? सोच्चा निसम्म समुप्पन्नससए समुप्पन्नकोउहल्ले जेणेव विजयस्स गाहावइस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासइ विजयस्स गाहावइस्स गिहसि वसुहार वुटु, दसद्धवण्ण कुसुम निवडिय, मम च ण विजयस्स गाहावइस्स गिहाम्रो पडिनिक्खममाण पासइ, पासित्ता हट्ठतुढे जेणेव ममं अतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मम
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१ स० पा०-नीय जाव अडमाणे। २. स० पा०-हट्टतुटु ।
३ सं० पा०--सिंघाडग जाव पहेसु। ४ स० पा०-एवमाइक्खइ जाव एव ।