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________________ पन्नरसमं सतं ७०७ कालमासे काल ° किच्चा दोच्च पि रायगिहे नगरे अतो खरियत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्थवझे दाहवक्कतीए कालमासे काल': किच्चा इहेव जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले बेभेले सण्णिवेसे माहणकुलसि दारियत्ताए पच्चायाहिति । तए ण त दारियं अम्मापियरो उम्मुक्कबालभाव जोव्वणगमणुप्पत्तं पडिरूवएण' सुक्केण, पडिरूवएण विणएण, पडिरूवयस्स भत्तारस्स भारियत्ताए दलइस्सति । सा ण तस्स भारिया भविस्सति-इट्ठा कता जाव' अणुमया, भडकरडगसमाणा तेल्लकेला इव सुसगोविया, चेलपेडा इव सुसंपरिग्गहिया, रयणकरंडनो विव सुसारक्खिया, सुसगोविया, मा ण सीय, मा ण उण्ह जाव परिसहोवसग्गा फुसतु । तए ण सा दारिया अण्णदा कदायि गुम्विणी ससुरकुलाओ कुलघर निज्जमाणी अतरा दवग्गिजालाभिहया कालमासे काल किच्चा दाहिणिल्लेसु अग्गिकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववज्जिहिति । से ण तोहितो अणतर उव्वट्टित्ता माणुस्स विग्गह लभिहिति, लभित्ता केवल बोहिं बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारिय पव्वइहिति । तत्थ वि य ण विराहियसामण्णे कालमासे काल किच्चा दाहिणिल्लेसु असुरकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववज्जिहिति ।। से ण तओहिंतो अणतर' उव्वट्टित्ता माणुस विग्गह "लभिहिति, लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारिय पव्वइहिति । तत्थ वि य ण विराहियसामण्णे कालमासे काल किच्चा दाहिणिल्लेसु नागकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववज्जिहिति । से ण तोहितो अणतर एव एएण अभिलावेण दाहिणिल्लेसु सुवण्णकुमारसु, एव विज्जुकुमारेसु, एव अग्गिकुमारवज्ज" जाव दाहिणिल्लेसु थणियकुमारेसु । से ण 'तोहितो अणतर" उव्वट्टित्ता माणुस्स विग्गह लभिहिति 'लभित्ता केवल वोहिं बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुडे भवित्ता अगाराओ अणगारिय पव्वइहिति । तत्थ वि य ण विराहियसामण्णे जोइसिएसु देवेसु उववज्जिहिति । से ण तोहिंतो अणतर चय चइत्ता माणुस्स विग्गहं लभिहिति", 'लभित्ता १ स० पा०-सत्थवज्झे जाव किच्चा । २ पडिरूविएण (अ, क, ख, ता, व, म) सर्वत्र। ६ तो जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ३ भ० २।५२ । १० सं० पा०-लभिहिति जाव विराहियसा४. भ० २।५२ । मण्णे। ५ जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ११ स० पा०-लभिहिति जाव अविराहिय६. स० पा०–त चेव जाव तत्थ । सामण्णे। ७ मग्गिकुमार (ता)।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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