________________
भगवई
खामेति, खामेत्ता श्रालोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उड्ढ चंदिम-सूरिय जाव' ग्राणय-पाणयारणे कप्पे वीइवइत्ता अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ ण प्रत्येगतियाण देवाण बावीस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । तत्थ ण सुनक्खत्तस्स वि देवस्स वावीस सागरोवमाइ "ठिती पण्णत्ता । सेभते । सुनक्खत्ते देवे ताम्रो देवलगाओ ग्राउक्खएण भवक्खएणं ठिइक्खएण प्रणतर चय चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा | महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाण प्रत काहिति ॥ गोसालस्स भवब्भमण-पद
o
६६८
!
१६६ एव खलु देवाणुप्पियाण अतेवासी कुसिस्से गोसाले नाम मखलिपुत्ते से ण भते ! गोसाले मखलिपुत्ते कालमासे कालं किच्चा कहि गए ? कहि उववन्ने ? एव खलु गोयमा । मम श्रुतेवासी कुसिस्से गोसाले नाम मखलिपुत्ते समणघायए जाव' छउमत्थे चेव कालमासे काल किच्चा उड्ढ चदिम-सूरिय जाव ग्रच्चुए कप्पे देन्रत्ताए उववन्ने । तत्थ णं प्रत्येगतियाण देवाण बावीस साग रोव माई ठिती पण्णत्ता । तत्थ ण गोसालस्स वि देवस्स बावीस सागरोवमाइ ठिती
पण्णत्ता ॥
०
१६७ से ण भते । गोसाले देवे ताओ देवलोगाओ ग्राउक्खएण भवक्खएण ठिडक्खए ' •अणतरं चय चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा । इहेव जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले पुडेसु जणवएसु सयदुवारे नगरे समुतिस्स रण्णो भद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिति । से ण तत्थ नवण्ह मासाणं बहुपडिपुण्णाण' अट्टमाण य राइदियाण' वीइक्कंताणं जाव' सुरूवे दारए पयाहिति ॥
१६८
ज रर्याणि च ण से दारए जाइहिति, त रर्याणि च णं सयदुवारे नगरे सभितरबाहिरिए भारग्गसो य कुभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे य वासे वासिहिति ॥
१६६ तए ण तस्स दारगस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीइक्कते' 'निव्वत्ते प्रसुइजायकम्मकरणे॰ सपत्ते 'वारसमे दिवसे" प्रयमेयारूव गोण्णं गुणनिप्फन्नं
१. भ० १५ १६४।
-सेस जहा सव्वाणुभुतिस्स जाव
२. स० पा० -
अत ।
३. भ० १५।१४१ ।
४. भ० १५।१६५ ।
५. सं० पा० - ठिइक्खएण जाव कहि ।
६. स० पा०—वहुपडिपुण्णाण जाव वीइक्क
o
ताणं ।
७. भ० ११।१४६ ।
८. स० पा० -वीइक्कते जाव संपत्ते ।
९ वारसाहृदिवसे ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ); द्रष्टव्यम् - भ० ११ । १५३ सूत्रस्य पादटिप्पणम् ।