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________________ ६३४ भगवई असुरकुमारे से ण ग्रत्येगतिए ग्रगणिकायस्स मज्झमज्भेण वीइवएज्जा, अत्येतिए नो वीइवएज्जा । जेण वीइवएज्जा से ण तत्थ झियाएज्जा ? नो इट्टे समट्ठे, नो खलु तत्थ सत्थ कमइ । से तेणद्वेण । एव जाव थणियकुमारा । एगिदिया जहा नेरइया ॥ ५८. वेइदिया ण भते । श्रगणिकायस्स मज्झमज्झेण वीइवएज्जा ? जहा सुरकुमारे तहा बेइदिएवि, नवर जेण वीइवएज्जा से ण तत्थ झियाएज्जा ? हता झियाएज्जा | सेस त चेव । एव जाव चउरिदिए । ५६ पचिदियतिरिक्खजोणिए ण भते । गणिकायस "मज्झमज्भेण वीइव - एज्जा • ? गोमा । प्रत्थेगतिए वीइवएज्जा, ग्रत्थेगतिए नो वीइवएज्जा | ६० सेकेणट्टेण ? गोयमा । पचिदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, त जहा - विग्गहगतिसमावन्नगा य, अविग्गहगतिसमावन्नगा य | विग्गहगतिसमावन्नए जहेव नेरइए जाव नो खलु तत्थ सत्थ कमइ । अविग्गहगतिसमावन्नगा पचिदियतिरिक्खजो - णिया दुविहा पण्णत्ता, त जहा - इड्ढिप्पत्ता य, अणिढिपत्ता य । तत्थ ण जे से इत्ते पचिदियतिरिक्खजोणिए से ण प्रत्येगतिए अगणिकायस्स मज्झमज्झेण वीइवएज्जा, प्रत्येगतिए नो वीइवएज्जा । जेण वीइवएज्जा से ण तत्थ झियाएज्जा ? नो इणट्ठे समट्ठे, नो खलु तत्थ सत्थ कमइ । तत्थ ण जे से प्रणिढिप्पत्ते पचिदियतिरिक्खजोणिए से ण प्रत्येगतिए अगणिकायस्स मज्झमज्भेण वीइवएज्जा, प्रत्येगतिए नो वीइवएज्जा । जेण वीइवएज्जा से ण तत्थ झियाएज्जा ? हता भियाज्जा | से तेणट्टेण जाव नो वीइवएज्जा । एव मणुस्से वि । वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिए जहा असुरकुमारे ॥ पच्चणुभव-पदं ६१. नेरइया दस ठाणाइ पच्चणुब्भवमाणा विहरति, त जहा - प्रणिट्ठा सद्दा, प्रणिट्ठा रूवा, प्रणिट्ठा गधा, अणिट्ठा रसा, अणिट्ठा फासा, अणिट्टा गती, प्रणिट्ठा ठिती, अणिट्टे लावण्णे', प्रणिट्टे जसे कित्ती, प्रणिट्टे उट्ठाण - कम्म' -बल-वीरिय- पुरिसक्कार-परक्कमे ॥ १ स० पा० २. लायणे (ता) । पुच्छा । ३ कम्मए (ता) |
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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