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________________ चोसम सत ( पचमो उद्देसो) ६३५ ६२ असुरकुमारा दस ठाणाइ पच्चणुब्भवमाणा विहरति, त जहा - इट्ठा सद्दा, इट्ठा रूवा जाव इट्ठे उट्ठाण -कम्म-बल-वीरिय- पुरिसक्कार- परक्कमे । एव जाव थणिकुमारा ॥ ६३ पुढविक्काइया छट्टाणाइ पच्चणुब्भवमाणा विहरति त जहा - इट्ठाणिट्ठा फासा, ट्ठा गती, व जाव पुरिसक्कार - परक्कमे । एव जाव वणस्सइकाइया ॥ ६४ बेइदिया' सत्तट्ठाणाइ पच्चणुभवमाणा विहरति, त जहा - इट्ठाणिट्ठा रसा, सेस जहा एगिदियाण ॥ ६५ तेइदिया अठ्ठट्ठाणाइ पच्चणुव्भवमाणा विहरति, त जहा - इट्ठाणिट्ठा गधा, सेस जहा बेइदियाण ॥ ६६ चउरिदिया नवद्वाणाइ पच्चणुब्भवमाणा विहरति, त जहा - इट्ठाणिट्ठा रुवा, से जहा तेsदियाण ॥ ६७ पचिदियतिरिक्खजोणिया दस ठाणाइ पच्चणुब्भवमाणा विहरति, त जहाइट्ठाणिट्ठा सद्दा जाव पुरिसक्कार - परक्कमे । एव मणुस्सा वि, वाणमतर - जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा । देवस्स उल्लघण - पल्लंघण-पदं 1 ६८. देवे ण भते | महिड्ढीए जाव' महेसक्खे' बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू तिरियपव्वय वा तिरियभित्ति वा उल्लघेत्तए वा पल्लवेत्तए वा ? *नो इणट्ठे समट्ठे ॥ 1 ६६. देवे ण भते । महिड्ढीए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू तिरिय पव्वय वा तिरियभित्ति वा उल्लघेत्तए वा • पल्लवेत्तए वा o ? ७० हता पभू ॥ सेव भते । सेव भते । त्ति' ॥ १ वेंदिया (व) | २ भ० १।३३६ । ३. महेसक्के (ब) । ४. गोनो ( अ, ख ) । ५ स० पा० - तिरिय जाव पल्लवेत्तए । ६ भ० १।५१ ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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