________________
एक्कारसं सत ( नवमो उद्दसी)
जिमियभुत्तुरागए वि य ण समाण प्रायंते चोक्खे परमसुइब्भूए त मित्त-नाइनियग-सयण-सबधि - परिजण विउलेण असण- पाण- खाइम - साइमेण वत्थ-गधमल्लालकारेण य° सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता त मित्त-नाइ - ' • नियग - सयण - सबधि - ० परिजण रायाणो य खत्तिए य सिवभद्द च रायाण आपुच्छइ, आपुच्छित्ता सुवहु लोही - लोहकडाह - कडच्छुय' तबियतावस • भडगं गहाय जे इमे गगाकूलगा वाणपत्था तावसा भवति, त चेव जाव' तेसि प्रतिय मुडे भवित्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइए, पव्वइए वि य ण समाणे अयमेयारूव अभिग्गह अभिगिण्हति - ' कप्पइ मे जावज्जीवाए छट्ठ छट्टेण प्रणिक्खित्तेण दिसाचक्कवालेण तवोकम्मेण उड्ढ वाहाम्रो पगिज्भिय-पगिज्झिय विहरित्तए' - श्रयमेयारूव • अभिग्गह' ग्रभिगिन्हित्ता पढम छट्ठक्खमण उवसज्जित्ताणं विहरइ ॥
o
६४. तएण से सिवे रायरिसी पढमछट्ठक्खमणपारणगसि श्रायावणभूमी पचोरुहर, पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्ये जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण'-सकाइयग गिण्हइ, गिण्हित्ता पुरत्थिम दिस पोक्खेइ, पुरथिमाए दिसा सोमे महाराया पत्थाणे पत्थिय अभिरक्खउ सिव" रायरिसिअभिरक्खउ सिव रायरिसि, जाणि य तत्थ कदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुष्फाणि य फलाणि य बीयाणि य हरियाणि य ताणि प्रणुजाणउ त्ति कट्टु पुरत्थिम दिस पसरई, पसरिता जाणि य तत्थ कदाणि य जाव हरियाणि यताइ गेहइ, गेण्हित्ता किठिण - सकाइयग भरेइ, भरेत्ता दब्भेय कुसे य समिहा य पत्तामोड च गिण्हइ, गिण्हित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-सकाइयग ठवेइ, ठवेत्ता वेदिं वढ्ढेइ, वड्ढेत्ता उवलेवण समज्जण करेइ, करेत्ता दब्भकलसाहत्थगए' जेणेव गंगा महानदी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता 'गंग महानदि " ओगाहेइ, प्रोगाहेत्ता जलमज्जण करेइ, करेत्ता जलकीड करेइ, करेत्ता जलाभिसेय करेइ, करेत्ता आयते चोक्खे परमसुइभूए देवय-पिति कयकज्जे दब्भकलसाहत्यगए" गगाओ महा
१. स० पानाइ जाव परिजण ।
२. स० पा० – कडच्छुय जाव भडग ।
३. भ० ११।५६ ।
४. स० पा० - त चेव जाव अभिग्गह |
५. अभिग्गह अभिगिण्हइ ( अ, क, ता, व, म, स ), द्रष्टव्यम् - भ० ३।३३ सूत्रस्य पादटिप्पणम् ।
४६७
६
७
कढिग ( अ ) |
सिवे ( ब, स ) ।
८. सरइ (ता, म) ।
दव्भकलस ० ( अ ), दव्भसगव्भकलसा ( सग )
१०
११
हत्थगए (ता, वृपा) ।
गंगामहानदी ( क, व, म) 1
दव्भसगव्भकलसा ( अ, क, ता, व, म, स ) 1