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________________ सत्तम सत (अट्ठमो उद्देसो) २६६ • हता गोयमा ! नेरइयाण पावे कम्मे जे य कडे, जे य कज्जइ, जे य कज्जि स्सइ सव्वे से दुक्खे, जे निज्जिण्णे से ° सुहे । एवं जाव' वेमाणियाण ॥ दसविहसण्णा-पदं १६१ कति ण भते । सण्णाओ पण्णत्ताओ? गोयमा | दस सण्णासो पण्णत्ताप्रो, त जहा-आहारसण्णा, भयसण्णा, मेहुणसण्णा, परिग्गहसण्णा, कोहसण्णा, माणसण्णा, मायासण्णा, लोभसण्णा, लोग सण्णा, मोहसण्णा । एव जाव वेमाणियाण ।। नेरइयाणं दस विहवेदणा-पदं १६२ नेरइया दसविह वेयण पच्चणुभवमाणा विहरति, त जहा–सीय, उसिण, खुह, पिवास, कडु, परज्झ, जर, दाह, भय, सोग ॥ हत्थि-कुथूणं प्रपच्चक्खाणकिरिया-पद १६३. से नूण भते ! हत्यिस्स य कुथुस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ? हता गोयमा । हत्थिस्स य कथुस्स य' 'समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ॥ १६४. से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-'हत्थिस्स य कुथुस्स य समा चेव अपच्चक्खा णकिरिया कज्जइ ? __ गोयमा । अविरतिं पडुच्च । से तेणटेण' गोयमा । एव वुच्चइ-हत्थिस्स य कुथुस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया' कज्जइ। अहाकम्मादि-पदं १६५ अहाकम्म ण भते । भुजमाणे कि बधइ ? कि पकरेइ ? कि चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? "गोयमा । अहाकम्म ण भुजमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीअो सिढिलवधणवद्धानो धणियबधणवद्धानो पकरेइ ०" जाव सासए पडिए, पडियत्त असासय । १६६ सेव भते ! सेव भते । त्ति ॥ १ स० पा०—कम्मे जाव सुहे। २ पू०प०२। ३ स० पा०-कुथुस्स य जाव कज्जइ । ४ स० पा०-वुच्चइ जाव कज्जइ । ५ स० पा०–तेणद्वेण जाव कज्जइ । ६ स० पा-एव जहा पढमे सए नवमे उद्देसए तहा भाणियन्व। ७ भ० ११४३६-४४० । ८ भ० ११५१ ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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