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________________ २६८ भगवई हता गोयमा हत्थीयो कुथू अप्पकम्मतराए चेव कुथूो वा हत्थी महाकम्मतराए चेव, हत्थीयो कुथू अप्पकिरियत राए चेव कुथूनो वा हत्थी महाकिरियतराए चेव, हत्थीयो कुथू अप्पासवतराए चेव कुथूप्रो वा हत्थी महासवतराए चेव, । एव आहार-नीहार-उस्सास-नीसास-इड्ढि-महज्जुइएहिं हत्थीओ कुथू अप्पतराए चेव कथनो वा हत्थी महातराए चेव ।। १५६ से केणद्वेण भते ! एत्र वुच्चइ-हत्थिस्स य कुथुस्स य समे चेव जीवे ? गोयमा । से जहानामए कूडागारसाला सिया-दुहनी लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा निवाया निवायगभीरा। अह ण केइ पुरिसे जोइ व दीव व गहाय त कूडागारसाल अतो-अतो अणुपविसइ, तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समता घणनिचिय-निरतर-निच्छिड्डाइ दुवार-वयणाइ पिहेति, तीसे कूडागारसालाए वहुमज्झदेसभाए त पईव पलीवेज्जा। तए ण से पईवे त कूडागारसाल अतो-अतो अोभासइ उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव ण वाहि। अह ण से पुरिसे तं पईव इड्डरएण पिहेज्जा , तए णं से पईवे त इड्डरय अतो अतो अोभासेइ उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव ण इड्डुरगस्स वाहिं, नो चेव ण कूडागारसाल, नो चेव ण कूडागारसालाए वाहिं। एव-गोकिलिजेण पच्छियापिडएण गडमाणियाए आढएण अद्धाढएण पत्थएण अद्धपत्थएण कुलवेण अद्धकुलवेण चाउभाइयाए अट्ठभाइयाए सोलसियाए वत्तीसियाए चउसट्ठियाए। अह ण पुरिसे त पईव दीवचपएण पिहेज्जा। तए ण से पदीवे दीवचपगस्स अतो-अतो ओभासति उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव ण दीवचपगस्स बाहिं, नो चेव ण चउसट्टियाए वाहि, नो चेव ण कूडागारसालं, नो चेव ण कूडागारसालाए वाहिं। एवामेव गोयमा । जीवे वि ज जारिसय पुव्वकम्मनिवद्ध वोदि निव्वत्तेइ त असखेज्जेहिं जीवपदेसेहिं सचित्तीकरेइ-खुड्डिय वा महालिय वा । से तेण?ण गोयमा' | 'एव वुच्चइ-हत्यिस्स य कुथुस्स य° समे चेव जीवे ॥ सुह-दुक्ख-पदं १६०. नेरइयाण भते ! पावे कम्मे जे य कडे, जे य कज्जइ, जे य कज्जिस्सइ सव्वे से दुक्खे, जे निज्जिण्णे से सुहे ? १. म० पा०-गोयमा जाव समे । २ एतच्च सर्वमपि वाचनान्तरे साक्षाल्लिखितमेव दृश्यते (वृ)।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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