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भगवई गोयमा | सव्वत्थोवा लोगस्स एगम्मि अागासपदेसे जहण्णपए जीवपदेसा,
सव्वजीवा असखेज्जगुणा, उक्कोसपए जीवपदेसा विसेसाहिया । ११४ सेव भते । सेव भते । त्ति' ।।
एक्कारसमो उद्देसो सुदंसणसेट्टि-पदं ११५. तेण कालेण तेण समएणं वाणियग्गामे नाम नगरे होत्था-वण्णयो। दति
पलासे चेइए–वण्णो जाव' पुढविसिलापट्टयो । तत्थ ण वाणियग्गामे नगरे सुदसणे नामं सेट्ठी परिवसइ-अड्ढे जाव' वहुजणस्स अपरिभूए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव' अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाण भावेमाणे
विहरइ । सामी समोसढे जाव' परिसा पज्जुवासइ।।। ११६ तए ण से सुदसणे सेट्टी इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्टतुटे हाए कय बलि
कम्मे कयकोउय-मंगल °-पायच्छित्ते सव्वालकारविभूसिए सानो गिहाम्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सकोरेटमल्लदामेण छत्तेणं धरिज्जमाणेण पायविहारचारेण महयापुरिसवग्गुरापरिक्खित्ते वाणियग्गाम नगर मज्झमझण निग्गच्छइ, निग्गछित्ता जेणेव दूतिपलासे चेइए जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर पचविहेणं अभिगमेण अभिगच्छइ, [त जहा–सच्चित्ताण दवाण विप्रोसरणयाए 'जहा उसभदत्तो
जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जूवासइ॥ ११७ तए ण समणे भगव महावीरे सुदसणस्स सेटिस्स तीसे य महतिमहालियाए"
परिसाए धम्म परिकहेइ जाव' आणाए आराहए भवइ ।।
१. भ० ११५१। २ ओ० सू० १॥ ३ ओ० सू० २-१३॥ ४. भ० २।६४। ५. भ० २।४। ६. ओ० सू० १६-५२। ७. स० पा०-कय जाव पायच्छित्ते ।
८ दूतिपलासए (अ)। ६ कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्याश· प्रतीयते । १० अ० ६।१४५॥ ११ ° महालयाए (स)। १२ पू०-ओ० सू० ७१३ १३ ओ० सू० ७१-७७।