________________
९ जा
दिगदर्शन ... वैदिक-परम्परा में ईश्वर शब्द-.. ... ईश्वर शब्द वैदिक दर्शन का अपना एक पारिभाषिक शब्द है । वैदिक दर्शन के अनुसार उस महाशक्ति का नाम ईश्वर है, जो इस जगत की निर्मात्री है, एक है, सर्वव्यापक और नित्य हैं। वैदिक दर्शन का विश्वास है कि संसार के कार्यचक्र को चलाने की बागडोर ईश्वर के हाथ में है, संसार के समस्त स्पन्दन उसी की प्रेरणा से हो रहे हैं। - वैदिक दर्शन कहता है कि ईश्वर सर्वशक्तिमान है, वह जो चाहे कर सकता है। कर्तव्य को अकर्तव्य और अकर्तव्य को कर्तव्य वना देना उस के वाएं हाथ का काम है । सारा संसार उस की इच्छा का खेल है, उसकी इच्छा के बिना एक पत्ता भी नहीं कम्पित हो सकता। संसार का उत्थान और पतन उसी के.. इशारे पर हो रहा है।... .. . ... . . . वैदिक दर्शन की आस्था है कि अज्ञ होने के कारण जीव अपने सुख और दुःख का स्वयं स्वामी नहीं है, इस का स्वर्ग या नरक जाना ईश्वर की इच्छा पर निर्भर है। मनुष्य कुछ.. नहीं कर सकता। उसे तो स्वयं को ईश्वर के हाथों में सौंपः - * कर्तुं मर्तु मन्यथा कर्तुं समर्थ ईश्वरः ।
अज्ञो जन्तुरनीगोऽयमात्मनः सुखदुःखयोः ।
ईश्वरप्रेरितो गच्छेत्, स्वर्ग वा श्वभ्रमेव वा ॥ ... : .. ...... ..: (महाभारत)