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________________ १८७ पचमं सतं (पढमो उद्देसो) जंबुद्दी दिवसराई-वत्तव्वया-पद ४. जया ण भते । जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे दिवसे भवइ, तया ण उत्तरड्ढेवि दिवसे भवइ, जया ण उत्तरड्ढे दिवसे भवइ, तया ण जंबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरथिम-पच्चत्थिमे णं राई भवइ ? हता गोयमा । जया ण जवुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे दिवसे जाव पुरत्थिम-पच्च त्थिमे ण राई भवड॥ ५. जयाण भते । जंबूदीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे ण दिवसे भवइ, तया ण पच्चत्थिमे ण वि दिवसे भवड, जया ण पच्चत्थिमे ण दिवसे भवइ, तया ण जबूदीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे ण राई भवइ ? हता गोयमा ! जया ण जवूदीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे ण दिवसे जाव उत्तर-दाहिणे ण राई भवइ ।। जया ण भते । जवुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया ण उत्तरड्ढे वि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया ण उत्तरड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया ण जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमे ण जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ? हता गोयमा । जया ण जवुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे जाव दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ।। जया ण भते । जवुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया ण पच्चत्थिमे वि उक्कोसेण अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया ण पच्चत्थिमे ण उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया ण जवुद्दीवे दीवे उत्तर - दाहिणे ण जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता' राई भवइ ? हता गोयमा | जाव भवइ । ८ जया ण भते । जवुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ, तया ण उत्तरड्ढे वि अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ, जया ण उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ, तया ण जबुद्दीवे दीवे मदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमे ण साइरेगा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ? हता गोयमा | जया ण जवुद्दीवे जाव राई भवइ ।। १. उत्तरड्ढेवि (अ, ता, स)। २ पुरत्थिमेण (अ, ता)। ३. दाहिगड्ढे वि (ता)। ४. स० पा०-उत्तर जाव राई ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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