________________
'४३६
नवम सत (तेत्तीसइमो उद्देसो) १५८. तए ण तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स त महयाजणसद्द वा जाव जणसन्नि
वाय वा सुणमाणस्स वा पासमाणस्स वा अयमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे ° समुप्पज्जित्था-किण्ण अज्ज खत्तियकुडग्गामे नयरे इदमहे इ वा, खदमहे इ वा, मुगु दमहे इ वा, नागमहे इ वा, जक्खमहे इ वा, भूयमहे इ वा, कूवमहे इ वा, तडागमहे इ वा, नईमहे इ वा, दहमहे इ वा, पव्वयमहे इ वा, रूवखमहे इ वा, चेइयमहे इ वा, थूभमहे इ वा, जण्ण एते वहवे उग्गा, भोगा, राइण्णा, इक्खागा, णाया', कोरव्वा, खत्तिया, खत्तियपुत्ता, भडा, भडपुत्ता, 'जोहा पसत्थारो मल्लई लेच्छई लेच्छईपुत्ता अण्णे य बहवे राईसर-तलवर--माडविय-कोडु विय-इभ-सेट्ठि-सेणावइ ° -सत्थवाहप्पभितयो ण्हाया कयवलिकम्मा जहा अोववाइए जाव' खत्तियकुडग्गामे नयरे मज्झमझेण निग्गच्छति ? ---एव सपेहेइ, सपेहेत्ता कचुइ-पुरिस सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वदासी-किण्ण देवाणुप्पिया | अज्ज खत्तियकुडग्गामे नयरे इदमहे इ वा
जाव निग्गच्छति ? १५६. तए ण से कचुइ-पुरिसे जमालिणा खत्तियकुमारेण एव वुत्ते समाणे हट्टतुट्रे
समणस्स भगवनो महावीरस्स आगमणगहियविणिच्छए करयल परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अलि कटु ° जमालि खत्तियकुमार जएण विजएण वद्धावेइ, वद्धावेत्ता एव वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया | अज्ज खत्तियकुडग्गामे नयरे इदमहे इ वा जाव' निग्गच्छति । एव खलु देवाणुप्पिया । अज्ज समणे भगव महावीरे आदिगरे जाव' सव्वण्णू सव्वदरिसी माहणकुडग्गामस्स नयरस्स बहिया वहुसालए चेइए अहापडिरूव प्रोग्गह प्रोगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे ° विहरइ, तए ण एते वहवे उग्गा, भोगा जाव'
निग्गच्छति ॥ १६०. तए ण से जमाली खत्तियकुमारे कचुइ"-पुरिसस्स अतिय एयम सोच्चा
निसम्म हट्टतुटे कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी-खिप्पामेव भो
देवाणुप्पिया | चाउपघट ग्रासरह जुत्तामेव उवट्ठवेह, उवढवेत्ता मम एयमाणत्तिय पच्चप्पिणह ॥
१ स०पा०-अज्झात्थिए जाव समुप्पज्जित्था। ७ भ० ६।१५८ । २. नाता (क, ब, म)।
८ ओ० सू० १९ । ३ स०पा०-जहा ओववाइए जाव सत्थवाह । ६ स० पा०-प्रोग्गहं जाव विहरड। ४ ओ० सू० ५२ ।
१० ओसू सू० ५२, जाव अप्पेगइया वदणवत्तिय ५ कचुइज्ज (अ, क, ता, व)।
जाव (अ, क, ता, ब, म)। ६ स० पा०-करयल ।
११ कचुति (अ, क, व, स)।