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एक्कासं सत (नवमी उद्देसो)
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तावेहि इगालसोल्लिय कदुसोल्लिय कट्ठसोल्लिय पिव प्रमाण करेमाणा विहरति ] ' तत्थ ण जे ते दिसापोक्खी तावसा तेसि प्रतिय मुडे भवित्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइत्तए, पव्वइते वि य ण समाणे अयमेयारूव अभिग्गह अभिगिहिस्सामि - कप्पइ मे जावज्जीवाए छुट्टछट्टेण प्रणिक्खित्तेण दिसाचक्कवालेण तवोकम्मेण उड्ढ वाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्भिय' सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स ° विहरित्तए, त्ति कट्टु एव सपेहेइ, सपेहेत्ता कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सुबहु लोहीलोह कडाह-कडच्छुय तबिय तावसभडग • घडावेत्ता कोडुबियपुरिसे सहावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी - खिप्पामेव भो । देवाणुप्पिया । हत्थिणापुर नगर सब्भितरवाहिरिय प्रासिय सम्मज्जिग्रोवलित्त जाव" सुगंधव रगधगधिय गधवट्टिभूय करेह य कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य एयमाणत्तिय पच्चप्पिणह । वितमाणत्तिय पच्चप्पिणति ॥
६०. तए ण से सिवे राया दोच्च पि कोडु बियपुरिसे सद्दावेइ, सहावेत्ता एव वयासी - खिप्पामेव भो | देवाणुप्पिया ! सिवभद्दस्स कुमारस्स महत्थ महग्घ महरिह विउल रायाभिसेय उवट्टवेह । तए ण ते कोडुबियपुरिसा तहेव उवट्टवेति ॥ ६१ तए ण से सिवे राया अणेगगणनायग- दडनायग'- राईसर - तलवर - माडबियकोडुबिय - इब्भ-सेट्ठि सेणावइ- सत्यवाह - दूय सधिपाल - सद्धि सपरिवुडे सिवभद्द कुमार सीहासणवरसि पुरत्याभिमुह, निसियावेइ, निसियावेत्ता अट्ठसएण सोव - ण्णियाण कलसाण जाव' अट्ठसएण भोमेज्जाण कलसाण सव्विड्ढीए जाव' दुदुहि - णिग्घोसणाइयरवेण महया - महया रायाभिसेगेण अभिसिचाइ, अभिसिं
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इगलसोनिय कदु (ड) मोल्लिय कटुसोल्लिय पिव अप्पारण करेमारणा विहरति । 'ओववाइय' सूत्रस्य (६४) पूर्णपाठ एवमस्ति -- ' होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जण्णई सड्ढई थालई हुबउट्ठा दतुक्खलिया उम्म ज्जगा सम्मज्जगा निमज्जगा सपक्खाला दक्णिकुलगा उत्तरकूलगा सखधमगा कूलधमगा मिगलुद्धगा हत्थितावसा उद्दडगा दिसापोक्खिरणो वाकवासिणो चेलवासिणो जलवासिगो रुक्खमूलिया अवुभक्खिणो वाउभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुप्फाहारा फलाहारा
बीयाहारा परिसडिय - कद-मूल-तय-पत्त-पुप्फफलाहारा जलाभिसेय कठिण-गाया आयावणाहि पंचग्गितावेहिं इगालसोल्लिय कदु - सोल्लिय कटुसोल्लिय पिव अप्पाण करेमारगा ।'
असो कोष्ठकवर्ती पाठ व्याख्याश प्रतीयते ।
स० पा० - परिज्झिय जाव विहरित्तए । भ० २। ६६ ।
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४ स० पा०- - लोह जाव घडावेत्ता । ५
ओ० सू० ५५ ।
६ स० पा० दडनायग जाव सधिपाल | ७. भ० ६।१८२ ।
८ भ० ६।१८२ ।