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________________ नवम सत (बत्तीसइमो उद्देसो) ४१७ णप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव' अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो पकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । एव एएण गमएण जहा तिण्ह तियासजोगो' तहा भाणियव्वो जाव अहवा दो धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा'। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, 'अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा", अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे अहंसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे आहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगें धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए १. तिय ° (अ, म, स)। २ त्रिसयोगजा भङ्गा १०५। ३ एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्क रप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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