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अट्टमं सत ( पचमो उद्देसो)
पंचमो उद्देसो
आजीवियसंद मे समणोवासय-पद
२३० रायगिहे जाव' एव वयासी - श्राजीविया ण भंते । थेरे भगवते एव वयासीसमणोवासगस्स' ण भते । सामाइयकडस्स समणोवस्सए ग्रच्छमाणस्स केइ भडं ग्रवहरेज्जा, से ण भते । त भंड प्रणुगवेसमाणे किं सभङ' प्रणुगवेसइ ? पराया भर्ड अणुगवेसइ ?
गोमा । सभड अणुगवेसइ, नो परायगं भड प्रणुगवेसइ ॥
२३१ तस्स णं भते ! तेहि सीलव्वय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाण-पोस होववासेहि से भडे प्रभडे भवइ* ?
हैता भवइ ॥
२३२ से केण खाइ र्ण प्रद्वेण भते । एवं चुच्चइ - सभंड प्रणुगवेसइ, नो परायगं
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भड अणुग
गोमा । तस्स ण एवं भवइ-नो मे हिरण्णे, नो मे सुवण्णे, नो मे कसे, नो मे दूसे, नो मे विपुलधण - कणग-रयण-मणि-मोत्तिय सख-सिल-प्पवाल- रत्तरयणमादीए सतसारसावदेज्जे', ममत्तभावे' पुण से परिण्णाए भवइ । से तेणट्टेण गोयमा । एव वुच्चइ - सभड अणुगवेसइ, नो परायग भड अणुगवेसइ ॥ २३३. समणोवासगस्स ण भते । सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ
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अजाय चरइ
जाय चरेज्जा, सेण भते । किं जाय चरइ ? गोयमा । जाय चरइ ? नो अजाय चरइ ॥
२३४.' तस्स ण भते । तेहिं सीलव्वय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं सा जाया जाया भवइ ?
१ भ० १।४८ ।
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२ एव वक्ष्यमाणप्रकारमवादिपु यच्च ते तान् प्रत्यवादिपुस्तद्गौतम स्वयमेव पृच्छन्नाह
३५१
हता भवइ ॥
२३५ सेकेण खाइ ण अद्वेग भते एव वुच्चइ - जाय चरइ ? नो अजाय चरइ ? गोया । तस्स ण एव भवइ-नो मे माता, नो मे पिता, नो मे भाया, नो मे भगिणी, नो मे भज्जा, नो मे पुत्ता, नो मे घूया, नो मे सुण्हा, पेज्जबधणे पुण से अव्वोच्छिन्ने' भवइ । से गोयमा' | एव वुच्चइ - जाय चरइ, नो प्रजाय चरइ ॥
तेणट्टेण
(वृ) ।
३. सयभड (अ), स भड (ता, म), सय भड (स) ।
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४
५
हवइ (ता) ।
• सापदेज्जे (ता), सावतेज्जे (व) ।
६
ममत्ति (क, ता, व ) ।
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७
केवइ (ता) ।
८. अवो० (अ) 1
६. सं० पा०—गोयमा जाव नो ।