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________________ भगवई ४५४ जय नदा | भद्द ते' अभग्गेहि नाण-दसण-चरित्तेहिमुत्तमेहि, अजियाइ जिणाहि इदियाइ, जि य पालेहि समणधम्म, जियविग्यो वि य वसाहि त देव! सिद्धि मज्झे, निहणाहि य रागदोसमल्ले तवेण धितिधणियवद्धकच्छे, मदाहि य अट्ट कम्मसत्त झाणेण उत्तमेण सुक्केण, अप्पमत्तो हराहि अाराहणपडाग च धीर । तेलोक्करगमझे, पावय वितिमिरमणुत्तर केवल च नाण, गच्छ य मोक्ख पर पद जिणवरोवदितॄण सिद्धिमग्गेण अकुडिलेण हता परीसहचमू अभिभविय गामकटकोवसग्गा ण, धम्मे ते अविग्घमत्थु त्ति कटु अभिनदति य अभिथुणति य॥ २०६ तए ण से जमाली खत्तियकुमारे नयणमालासहस्सेहि पेच्छिज्जमाणे-पेच्छिज्ज माणे ५०हिययमालासहस्सेहि अभिणदिज्जमाणे-अभिणदिज्जमाणे मणोरहमालासहस्से हि विच्छिप्पमाणे-विच्छिप्पमाणे वयणमालासहस्सेहि अभिथुव्वमाणेअभिथव्वमाणे कतिसोहगगुहि पत्थिज्जमाणे-पत्थिज्जमाणे वहण नरनारिसहस्साण दाहिणहत्येण अजलिमालासहस्साइ पडिच्छमाणे-पडिच्छमाणे मजुमजुणा घोसेण आपडिपुच्छमाणे-आपडिपुच्छमाणे भवणपतिसहस्साइ समइच्छमाणे-समइच्छमाणे खत्तियकुडग्गामे नयरे मज्झमझेण ° निग्गच्छइ,निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुडग्गामे नयरे जेणेव वहुसालए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता छत्तादीए तित्थगरातिसए पासइ, पासित्ता पुरिससहस्सवाहिणि सीय ठवेड, पुरिससहस्सवाहिणीनो सीयाग्रो पच्चोरुहइ ।। तए ण त जमालि खत्तियकुमार अम्मापिय रो पुरनो काउ जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो •यायाहिण-पयाहिण करेति, करेत्ता वदति नमसति, वदित्ता नमसित्ता एवं वयासी-एव खलु भते । जमाली खत्तियकुमारे अम्ह एगे पुत्ते इट्टे कते °पिए मणणे मणामे थेज्जे वेसासिए समए वहुमए अणुमए भडकरडगसमाणे रयणे रयणभूए जीविऊसविए हिययनदिजणणे उवरपुप्फ पिव दुरलभे सवणयाए°, किमग! पुण पासणयाए ? से जहानामए उप्पले इ वा, पउमे इ वा जाव' सहस्सपत्ते इ वा पके जाए जले सवुडे नोवलिप्पति पकरएण, नोवलिप्पति जलरएण, एवामेव जमाली वि खत्तियकुमारे कामेहि जाए, भोगेहिं सवुड्ढे १. भवतादिति गम्यते (वृ)। ५. स० पा०-एव जहा ओववाइए कूणिओ २ अभिग्गहेहिं (म)। जाव निग्गच्छद। ३ चरित्तमुत्तमेहिं (अ, क, म, स), चरित्तमु- ६ स० पा०-तिवखुत्तो जाव नमसित्ता। त्तेहिं (ता)। ७ स० पा०—कते जाव किमग। ४. अभिभविया (अ, क, म), अभिभविता ८ ओ० सू० १५० । (ता); अभिसमिया (व)। २१०
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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