________________
छट्ठ सत (पचमो उद्देसो)
२४७ ७१. से केणटेण ? गोयमा ! पुढविकाए ण अत्थेगइए सुभे देस पकासेइ, अत्थेगइए'
देस नो पकासेइ । से तेणद्वेण ॥ ७२ तमुक्काए' ण भते | कहिं समुट्ठिए ? कहिं सनिहिए ?
गोयमा ! जबूदीवस्स दीवस्स वहिया तिरियमसखेज्जे दीव-समुद्दे वीईवइत्ता, अरुणवरस्स दीवस्स वाहिरिल्लायो वेइयताप्रो अरुणोदय समुद्द बायालीस जोयणसहस्साणि प्रोगाहित्ता उवरिल्लायो जलताओ एगपएसियाए सेढीए-- एत्थ ण तमुक्काए समुट्ठिए। सत्तरस-एक्कवीसे जोयणसए उड्ढ उप्पइत्ता तो पच्छा तिरिय पवित्थरमाणे-पवित्थरमाणे सोहम्मीसाण-सणकुमारमाहिदे चत्तारि वि कप्पे प्रावरित्ता ण उड्ढ पि य ण जाव' बभलोगे कप्पे
रिट्ठविमाणपत्थड सपत्ते-एत्थ ण तमुक्काए सनिट्ठिए। ७३ तमुक्काए ण भते । किसठिए पण्णत्ते ?
गोयमा । अहे मल्लग-मूलसठिए, उप्पि कुक्कुडग-पजरगसठिए पण्णत्ते ।। ७४ तमुक्काए ण भते । केवतिय विक्खभेण, केवतिय परिक्खेवण पण्णत्ते ?
गोयमा | दुविहे पण्णत्ते, त जहा--सखेज्जवित्थडे य, असखेज्जवित्थडे य । तत्थ ण जे से सखेज्जवित्थडे, से ण सखेज्जाइ जोयणसहस्साइ विक्खभेण, असखेज्जाइ जोयणसहस्साइ परिक्खेवेण पण्णत्ते ।। तत्थ ण जे से असखेज्जवित्थडे, से ण असखेज्जाइं जोयणसहस्साइ विक्खभेण,
असखेज्जाइ जोयणसहस्साइ परिक्खेवेण पण्णत्ते ॥ ७५ तमुक्काए ण भते । केमहालए पण्णत्ते ?
गोयमा । अयण्णजबुद्दीवे दीवे सव्वदीव-समुद्दाण सव्वब्भतराए जाव एग जोयणसयसहस्स आयाम-विक्खभेण, तिण्णि जोयणसयसहस्साइ सोलससहस्साइ दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे अट्ठावीस च धणुसय तेरस अगुलाइ अद्धगुलग च किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेण पण्णत्ते । देवे ण महिडढीए जाव" महाणभावे इणामेव-इणामेवत्ति कटु केवलकप्प जबूदीव दीव तिहिंअच्छरानिवाएहि तिसत्तक्खुत्तो अणुपरियट्टित्ता ण हव्वमागच्छिज्जा, से ण देवे ताए उक्किट्ठाए तुरियाए जाव" दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जाव
१ x (क, ता)। २ तमुकाए (अ, क, ता, व, म)। ३ सण्णिट्ठिए (ता)। ४ तत्थ (अ, स)। ५ X (अ)। ६ सनिविट्ठिए (अ, स), सनिहिते (क) ।
७ कुकुडग (म, स)। ८ अय ण (क, म), अय ण (ता, स)। 8 ठा० ११२४८ । १० भ०३।४। ११ भ० ३१३८ ।