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________________ छ सत (सत्तमो उद्देसो) २५७ मालाउत्ताण ओलित्ताण लित्ताण पिहियाणं मुद्दियाण लछियाणं केवतिय कालं जोणी चिट्ठ ? 1 गोयमा । जहणेण ग्रतोमुहुत्तं, उक्कोसेण पच सवच्छराइ । तेण पर जोणी पमिलायइ, तेण पर जोणी पविद्धसइ, तेण पर बीए बीए भवति, तेण पर जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते समणाउसो ० । १३१ ग्रह भते । प्रयसि कुसुभग-कोद्दव- कगु-वरंग'- रालग कोट्टूसग' सण- सरिसवमूलाबीयमाईण – एएसि ण धन्नाण कोट्टाउत्ताण पल्लाउत्ताणं मचाउत्ताण माला उत्ताण ग्रोलित्ताण लित्ताण पिहियाण मुद्दियाण लछियाण केवतिय काल जोणी चिट्ठs ? " गोयमा । जहणेण प्रतोमुहुत्त, उक्कोसेण सत्त सवच्छराइ । तेण परं जोणी मिलाइ, तेण पर जोणी पविद्धसइ, तेण पर बीए बीए भवति, तेण परं जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते समणाउसो' ० । गरणना-काल-पदं १३२ एगमेगस्स ण भते । मुहुत्तस्स केवतिया ऊसासद्धा वियाहिया ? गोयमा । प्रसखेज्जाण समयाण समुदय समिति-समागमेण सा एगा 'श्रावलिय त्ति" पवुच्चइ, सखेज्जा ग्रावलिया ऊसासो, सखेज्जा ग्रावलिया निस्सासो गाहा - हटुस्स प्रणवगल्लस्स, निरुव किट्ठस्स' जतुणो । एगे ऊसास- नीसासे, एस पाणु त्ति वुच्चइ ॥१॥ सत्त पाणूड' से थोवे, सत्त थोवाइ से लवे । सत्त हत्तरिए, एस मुहुत्ते वियाहिए || २ || तिणि सहस्सा सत्त य, सयाइ तेवर्त्तारि च ऊसासा | एस मुहुत्तो दिट्ठो, सव्वेहि अणतनाणीहि ॥ ३ ॥ लवाण १ स० पा० - जहा सालीण तहा एयाणि वि नवर पच सवच्छराइ सेस त चेव । २ वट्ट (ठा० ७ ० ) । ३ कोडुसग (व) | ४ मूलग० ( अ, क, स ) 1 ५ सं० पा० - एयाणि वि तहेव नवर सत्त सवच्छराइ । ६ तुलना - ठा० ३।१२५, ५/२०६, ७६० ७ आवलिया ति ( क, ता, व ) । ८णिरवकटुस्स (ता) | ६. पाणि (अस) । १० सत्तस० (क, ब) ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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