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तइय सत (वीओ उद्देसो)
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१०१. तत्थ णं वेभेले सण्णिवेसे पूरणे नाम गाहावई परिवसइ–अड्ढे दित्ते' 'जाव'
वहुजणस्स अपरिभूए या वि होत्था ॥ १०२ तए ण तस्स पूरणस्स गाहावइस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयसि
कुटुवजागरिय जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए सकप्पे समुप्पज्जित्था-अत्थि ता मे पुरा पोराणाण सुचिण्णाण सुपरक्कताण सुभाण कल्लाणाण कडाण कम्माण कल्लाणफल वित्तिविसेसे, जेणाह हिरण्णेण वड्ढामि, सुवण्णेण वड्ढामि, धणेण वड्ढामि, धण्णेण वड्ढामि, पुत्तेहिं वड्ढामि, पसूहि वड्ढामि, विपुलधण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-सख-सिलप्पवाल-रत्तरयण-सतसारसावएज्जेण अतीव-अतीव अभिवड्ढामि, त कि ण अह पुरा पोराणाण सुचिण्णाण जाव कडाण कम्माण एगतसो खय उवेहमाणे विहरामि ? त जावताव अह हिरण्णण वड्ढामि जाव अतीव-अतीव' अभिवड्ढामि, जाव च मे मित्त-नाति-नियग-सयण-सबधि-परियणो आढाति परियाणाइ सक्कारेइ सम्माणेइ कल्लाण मगल देवय विणएण चेइय पज्जुवासइ, तावता मे सेय कल्ल पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सयमेव चउप्पुडय दारुमय पडिग्गहग करेत्ता, विउल असण-पाणखाइम-साइम उवक्खडावेत्ता, मित्त-नाइ-नियग-सयण-सबधि-परियण आमतेत्ता, त मित्त-नाइ-नियग-सयण-सबधि-परियण विउलेण असण-पाण-खाइम-साइमेण, वत्थ-गध-मल्लालकारेण य सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता, तस्सेव' मित्त-नाइ-नियगसयण-सवधि-परियणस्स पुरो जेट्टपुत्त कुटुबे ठावेत्ता, त मित्त-नाइ-नियगसयण-सवधि-परियण जेट्टपुत्त च आपुच्छित्ता, सयमेव चउप्पुडय दारुमय पडिग्गहग गहाय मुडे भवित्ता दाणामाए पव्वज्जाए पव्वइत्तए । पव्वइए वि य ण समाणे "इम एयारूव अभिग्गह अभिगिहिस्सामि-कप्पइ मे जावज्जीवाए छट्ठछट्टेण अणिविखत्तेण तवोकम्मेण उड्ढ बाहाम्रो पगिझिय-पगिज्झिय सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए आयावेमाणस्स विहरित्तए, छटस्स वि य ण पारणसि ° आयावणभूमीअो पच्चोरुभित्ता सयमेव चउप्पुडय दारुमय पडिगहग गहाय बेभेले सण्णिवेसे उच्च-नीय-मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्ता ज मे पढमे पुडए पडइ, कप्पइ मे त पथे पहियाण दलइत्तए।
१. स० पा०-जहा तामलिस्स वत्तव्वया तहा २. भ० २।९४ ।
नेतव्वा, नवर चउप्पुडय दारुमय पडिग्गय ३. भ० २।६६ । करेत्ता जाव विउल असरणपाणखाइमसाइम ४ स० पा०-त चेव जाव आयावरण । जाव सयमेव ।