________________
भगवई
मत्थए जल कट्टु जएण विजएण वद्धावेति, • वद्धावेत्ता एव वयासी - सदिसतु ण देवाणुप्पिया । ज ग्रम्हेहि करणिज्ज ||
२०२ तए ण से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया त कोडुवियवरत रुणसहस्स' एव वयासी - तुभेण देवाणुप्पिया । व्हाया कय वलिकम्मा कयकोउय-मंगलपायच्छित्ता एगाभरणवसण - गहियनिज्जोया जमालिस्स खत्तियकुमारस्स सीय परिवह ॥
O
२०३ तए ण ते कोडुवियवरत रुणपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एव वृत्ता समाणा जाव' पडिसुणेत्ता व्हाया जाव एगाभरणवसण गहियनिज्जोगा जमालिस खत्तियकुमारस्स सीय परिवहति ॥
२०४. तए ण तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणि सीय दुरूढस्स समाणस्स तप्पढमयाए इमे अट्ठट्ठमगलगा पुरो ग्रहाणुपुव्वीए सपट्ठिया, तं जहा — सोत्थिय- सिरिवच्छं - णदियावत्त- वद्धमाणग-भद्दासण-कलस-मच्छ॰-दप्पणा । तदाणतर च ण पुण्णकलसभिगार', 'दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा दंसण- रइयआलोय-दरिसणिज्जा, वाउय - विजयवेजयती य ऊसिया • गगणतल मणुलिहती पुरो ग्रहाणुपुवीए सपट्टिया ।
तदाणतर च णं वेरुलिय- भिसत - विमलदडं पलवकोरंटमल्लदामोव सोभियं चमडलणिभ समूसिय विमल प्रायवत्त, पवर सीहासण वरमणिरयणपाद- पीढ सपाउयाजोयसमाउत्त बहुकिंकर -कम्मकर- पुरिस- पायत्त परिक्खित्त पुरस्रो ग्राणुपुवीएसपट्टिय |
तदाणतर च ण वहवे लट्ठिग्गाहा कुतग्गाहा चामरग्गाहा पासग्गाहा चावगाहा पोत्थयग्गाहा फलगग्गाहा पीढग्गाहा वीणग्गाहा कूवग्गाहा हडप्पग्गाहा पुरो ग्रहाणुपुब्बीएसपट्टिया ।
तदाणतर च ण वहवे दडिणो मुडिणो सिडिणो जडिणो पिछिणो हासकरा डमरकरा दवकरा चाडुकरा कदप्पिया कोक्कुइया किड्डुकरा य वायता य गायता य णच्चता य हसता य भासता य सासता य सावेता य रक्खता य० नालोय च करेमाणा जय-जय सद्द पउजमाणा पुरस्रो ग्रहाणुपुव्वीए सपट्टिया ।
४५२
१. ० सहस्स पि ( अ, क, व, म, स ) । २ स० पा० कय जाव गहिय •
1
३ भ० ६।१८५ ।
४ भ० ६।२०१ ।
५. स० पा० - सिरिवच्छ जाव दप्पणा |
६. स० पा० - जहा ओववाइए, जाव गगण ०
,
अनेन च यदुपात्त तद्वचनान्तरे साक्षादेवास्ति (वृ) ।
७. स० पा० - एव जहा ओववाइए तहेव भाणि - यव्व जाव आलोय, एतच्च वाचनान्तरे प्राय साक्षाद्द्द्द्श्यत एव (वृ), वृत्तिकृता वाचनान्तरे अधिकपाठस्यापि सूचना कृतास्ति ।