________________
एक्कारस सत (एक्कारसमो उद्देसो)
५१६ च्छित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे निसीयइ, निसीयित्ता अप्पणो उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए अट्ठ भद्दासणाइ सेयवत्थपच्चत्थुयाइ' सिद्धत्थगकयमगलोवयाराइ रयावेइ, रयावेत्ता अप्पणो अदूरसामते नाणामणि-रयणमडिय अहियपेच्छणिज्ज महग्घ-वरपट्टणुग्गय सण्हपट्टभत्तिसयचित्तताण' ईहामिय-उसभ'-'तुरग-नरमगर-विहग-वालग-किण्णर-रुरु-सरभ-चमर-कु जर-वणलय-पउमलय-भत्तिचित्त अभितरिय जवणिय अछावेइ, अछावेत्ता नाणामणिरयणभत्तिचित्त अत्थरय-मउयमसूरगोत्थय सेयवत्थपच्चत्थुय अगसुहफासय सुमउय पभावतीए देवीए भद्दासण रयावेइ, रयावेत्ता कोडु बियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासि-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया | अट्ठगमहानिमित्तसुत्तत्थधारए विविह
सत्थकुसले सुविणलक्खणपाढए सद्दावेह ।।। १३६ तए ण ते कोडु वियपुरिसा जाव' पडिसुणेत्ता बलस्स रण्णो अतियानो पडिनि
क्खमति, पडिनिक्खमित्ता सिग्घ तुरिय चवल चड वेइय हत्थिणपुर नगर मज्झमझेण जेणेव तेसिं सुविणलक्खणपाढगाण गिहाइ तेणेव उवागच्छति,
उवागच्छित्ता ते सुविणलक्खणपाढए सद्दावति ।। १४० तए ण ते सुरिणलक्खणपाढगा बलस्स रण्णो कोडु वियपुरिसेहिं सद्दाविया समाणा
हद्वतुट्ठा व्हाया कय बलिकम्मा कयकोउय-मगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइ मगल्लाइ वत्थाइ पवर परिहिया अप्पमहग्घाभरणालकिय सरीरा सिद्धत्थगहरियालियाकयमगलमुद्धाणा सएहि-सएहि गेहेहिंतो निग्गच्छिति, निग्गच्छित्ता हत्थिणपुर नगर मज्झमझेण जेणेव बलस्स 'रण्णो भवणवरवडेसए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता भवणवरवडेसगपडिदुवारसि एगो मिलति, मिलित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव बले राया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए अजलि कट्ट बलराय जएण विजएण वद्धावेति । तए ण ते सुविणलक्खणपाढगा बलेण रण्णा वदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिया समाणा पत्तेय-पत्तेय पुव्वण्णत्थेसु भद्दासणेसु
निसीयति ।। १४१ तए णं से बले राया पभावतिं देवि जवणियतरिय ठावेइ, ठावेत्ता पुप्फ-फल
पडिपुण्णहत्थे परेण विणएण ते सुविणलक्खणपाढए एव वयासी-एव खलु
१. पच्चुत्थुयाइ (म)। २. सण्हवहुभत्ति (ब, म)। ३. स० पा०-उसभ जाव भत्तिचित्त। ४. पच्चुत्थय (व, म, स)।
५. ° फासुय (ख, ब)। ६. भ० ६।१४२॥ ७ स० पा०-कय जाव सरीरा। ८. स० पा०-करयल।