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________________ सत्तम सत (दसमो उद्देसो) ३१३ ण आवाए नो भद्दए भवइ, तो पच्छा परिणममाणे-परिणममाणे सुरूवत्ताए सुवण्णत्ताए जाव सुहत्ताए-नो दुक्खत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमइ । एवं खलु कालोदाई ! जोवाण कल्लाणा कम्मा' 'कल्लाणफलविवागसजुत्ता कज्जति ।। २२७. दो भते । पुरिसा सरिसया' •सरित्तया सरिव्वया' सरिसभडमत्तोवगरणा अण्णमण्णेण सद्धि अगणिकाय समारभति । तत्थ ण एगे पुरिसे अगणिकाय उज्जालेइ, एगे पुरिसे अगणिकाय निव्वावेइ । एएसि ण भते । दोण्ह पुरिसाण कयरे पुरिसे महाकम्मतराए चेव ? महाकिरियतराए चेव ? महासवतराए चेव' ? महावेयणतराए चेव ? कयरे वा पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव ? 'अप्पकिरियतराए चेव ? अप्पासवतराए चेव ? ० अप्पवेयणतराए चेव ? जे वा से पुरिसे अगणिकाय उज्जालेइ, जे वा से पुरिसे अगणिकाय निव्वावेइ? कालोदाई । तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय उज्जालेइ, से ण पुरिसे महाकम्मतराए चेव', 'महाकिरियतराए चेव, महासवतराए चेव, महावेयणतराए चेव । तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय निव्वावेइ, से ण पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव', 'अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव , अप्पवेयणतराए चेव ।। २२८. से केणखूण भते ! एव वुच्चइ-तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय उज्जालेइ, से ण पुरिसे महाकम्मतराए चेव ? महाकिरियतराए चेव ? महासवतराए चेव ? महावेयणतराए चेव ? तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय निव्वावेइ, से ण पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव ? अप्पकिरियतराए चेव ? अप्पासवतराए चेव ? अप्पवेयणतराए चेव ? कालोदाई । तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय उज्जालेइ, से ण पुरिसे बहुत राग पुढविक्काय समारभति, बहुतराग आउक्काय समारभति, अप्पतराग तेउक्काय समारभति, बहुतराग वाउकाय समारभति, बहुतराग वणस्सइकाय समारभति, बहुतराग तसकाय समारभति। तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय निव्वावेइ, से ण पुरिसे अप्पतराग पुढविकाय समारभति, अप्पतराग आउक्काय समारभति, बहुत राग तेउक्काय समारभति, अप्पत राग वाउकाय समारभति, अप्पतराग वणस्सइकायं समारभति, अप्पतराग तसकाय समारभति । से तेणद्वेण कालोदायी !" 'एव वुच्चइ-तत्थ ण जे से पुरिसे अगणिकाय उज्जालेइ, से ण पुरिसे महाकम्मतराए चेव, महा१. स० पा०-कम्मा जाव कज्जति। ५ स० पा०-चेव जाव अप्पवेयण । २. स० पा०-सरिसया जाव सरिसभंड° । ६ स० पा०-पुरिसे जाव अप्पवेयण । ३ स० पा०-चेव जाव अप्पवेयण । ७ स० पा०--कालोदायी जाव अप्पवेयण ० । ४ स० पा०-चेव जाव महावेयण ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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