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________________ १६२ भगवई हंता गोयमा | छउमत्थे णं मणुस्से आउडिज्जमाणाई सद्दाई सुणेइ, तं जहासखसद्दाणि वा जाव झुसिराणि वा। ताइ भते ! कि पुट्ठाइ सुणेइ ? अपुट्ठाइ सुणेइ ? गोयमा | पुढाइ सुणेइ, नो अपुट्ठाइ सुणेइ । 'जाइ भते | पुढाइ सुणेइ ताइ किं प्रोगाढाइ सुणेइ ? अणोगाढाइ सुणेइ ? गोयमा | प्रोगाढाइ सुणेइ, नो अणोगाढाइ सुणेइ । जाइ भते | ओगाढाइ सुणेइ ताइ कि अणतरोगाढाइ सुणेइ ? परपरोगाढाइ सुणेइ ? गोयमा ! अणतरोगाढाइ सुणेइ, नो परपरोगाढाइ सुणेइ । जाइ भते | अणतरोगाढाइ सुणेइ ताई कि अणूइ सुणेइ ? बादराइ सुणेइ ? गोयमा । अणूइ पि सुणेइ, वादराइ पि सुणेड। जाइ भते ! अणूइ पि सुणेइ बादराइ पि सुणेइ ताइ कि उड्ढ सुणेइ ? अहे सुणेइ ? तिरिय सुणेइ ? गोयमा | उड्ढ पि सुणेइ, अहे वि सुणेइ, तिरिय पि सुणेइ । जाइ भते ! उड्ढ पि सुणेइ अहे वि सुणेइ तिरिय पि सुणेइ ताइ किं आई सुणेइ ? मज्झे सुणेइ ? पज्जवसाणे सुणेइ ? गोयमा | आइ पि सुणेइ, मज्झे पि सुणेइ, पज्जवसाणे वि सुणेइ। जाइ भते । आइ पि सुणेइ मज्झे वि सुणेइ पज्जवसाणे वि सुणेड ताइ कि सविसए सुणेइ ? अविसए सुणेइ ? गोयमा । सविसए सुणेइ, नो अविसए सुणेड। जाइ भते । सविसए सुणेइ ताइ कि आणुपुव्वि सुणेइ ? अणाणुपुन्वि सुणेइ ? गोयमा | आणुपुन्वि सुणेइ, नो अणाणुपुन्वि सुणेइ।। जाइ भते । आणुपुव्वि सुणेइ ताइ कि तिदिसि सुणेइ जाव छद्दिसि सुणेइ ? गोयमा ! ० नियमा छद्दिसि सुणेइ ॥ ६५ छउमत्ये ण भते । मणूसे कि आरगयाइ सद्दाइ सुणेइ ? पारगयाइ सद्दाई सुणेइ ? गोयमा ! आरगयाइ सद्दाइ सुणेइ, नो पारगयाइ सद्दाइ सुणेइ ॥ जहा ण भते । छउमत्थे मणूसे पारगयाइ सद्दाइ सुणेइ, नो पारगयाइ सद्दाई सुणेइ, तहा ण' केवली कि आरगयाइ सद्दाइ सुणेइ ? पारगयाइ सद्दाइ सुणेइ ? गोयमा ! केवली ण पारगय वा, पारगय वा सव्वदूर-मूलमणतिय सद्द जाणइ-पासइ॥ १. स० पा०-सुणेइ जाब नियमा। २ ण भते । (स)।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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