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________________ भगवई जिणे केवली तीयपच्चुप्पन्नमणागयवियाणए सव्वण्णू सव्वदरिसी जेणं मम एस अद्वै तव ताव रहस्सकडे हव्वमक्खाए°, जो ण अह जाणामि ।। १५८. तए ण सा रेवती गाहावतिणी सीहस्स अणगारस्स अतिय एयम सोच्चा निसम्म' हटूतूटा जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पत्तग' मोएति, मोएत्ता जेणेव सीहे अणगारे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता मीहस्स अणगारस्स पडिग्गहगसि त सव्व सम्म निस्सिरति ।। १५६ तए ण तीए रेवतीए गाहावतिणीए तेण दव्वसुद्धेण दायगसुद्धेणं पडिगाहग सुद्धेण तिविहेण तिकरणसुद्धेण° दाणेण सीहे अणगारे पडिलाभिए समाणे देवाउए निवद्धे, ससारे परित्तीकए, गिहसि य से इमाइ पच दिवाइ पाउन्भूयाइ, त जहा-वसुधारा वुढा, दसद्धवण्णे कुसुमे निवातिए, चेलुक्खेवे कए, आहयानो देवद्दुभीनो, अतरा वि य ण ागासे ग्रहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे॥ १६०. तए ण रायगिहे नगरे सिघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एव भासड एव पण्णवेड एव परुवेइधन्ना ण देवाणुप्पिया ! रेवई गाहावइणी, कयत्था ण देवाणप्पिया ! रेवई गाहावइणी, कयपुण्णा ण देवाणुप्पिया | रेवई गाहावइणी, कयलक्खणा ण देवाणुप्पिया ! रेवई गाहावइणी, कया ण लोया देवाणुप्पिया ! रेवतीए गाहावतिणीए, सुलद्धे णं देवाणुप्पिया | माणुस्सए जम्मजीवियफले रेवतीए गाहावतिणीए, जस्स ण गिहसि तहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइ पच दिव्वाइ पाउन्भूयाड, त जहा- वसुधारा वुट्टा जाव अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे, त धन्ना कयत्था कयपुण्णा कयलक्खणा, कया ण लोया, सुलद्धे माणु स्सए ° जम्मजीवियफले रेवतीए गाहावतिणीए, रेवतीए गाहावतिणीए । १६१. तए ण से सीहे अणगारे रेवतीए गाहावतिणीए गिहाम्रो पडिनिक्खमति, पडि निक्खमित्ता मेढियगाम नगर मझमझेण निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जहा गोयमसामी जाव' भत्तपाण पडिदसेति, पडिदसेत्ता समणस्स भगवो महावीरस्स पाणिसि त सव्व सम्म निस्सिरति । भंगवओ प्रारोग्ग-पद १६२. तए ण समणे भगवं महावीरे अमुच्छिए" 'अगिद्धे अगढिए ° अणज्झोववन्ने १. निसम्मा (क, ता, ब)। २. पत्तं (क, ख, ता, व, म)। ३. पडिग्गहसि (ता)। ४. स० पा०-दन्वसुद्धेण जाव दाणेणं । ५. स० पाo-जहा विजयस्स जाव जम्म जीवियफले। ६ भ० २।११० । ७. स० पा०-अमुच्छिए जाव' अणज्झोववन्ने ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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