SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 479
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवई सत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे तमाए एगे प्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एंगे पकप्पभाए एगै तमाए एगे ग्रसत्तमाएं होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाएं एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे प्रसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पकप्पभाए जाव एगे हेसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए जाव एगे पकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए जाव एगे पकप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रहे सत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे घूमप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए जाव एगे ग्रसत्तमाए होज्जा' ॥ ९३. छव्भते । नेरइया नेरइयप्पवेसणएण पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा ? - पुच्छा । गगेया । रयणप्पभाए वा होज्जा जाव ग्रसत्तमाए वा होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए पच सक्करप्पभाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए पच वालुयप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए पंच महेसत्तमाए होज्जा | ग्रहवा दो रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा दो रयणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा तिणि रयणप्पभाए तिणि सक्करप्पभाए । एव एएण कमेण जहा पचण्ह दुयासजोगो तहा छह वि भाणियव्वो, नवर – एक्को अव्भहिश्रो सचारेयव्वो जाव ग्रहवा पच तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा' । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा, हवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि पकप्पभाए होज्जा, एव जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि ग्रसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा । एव एएण कमेण जहा पचण्ह तियासजोगो भणि तहा छण्ह वि भाणियव्वो, २० १. पञ्चसयोगजा भङ्गा २१ २ द्विसयोगजा भङ्गा १०५ ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy