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________________ भगवई सासए जीवे जमाली ! जण्ण नेरइए भवित्ता तिरिक्खजोणिए भवइ, तिरिक्खजोणिए भवित्ता मणुस्से भवइ, मणुस्से भवित्ता देवे भव || २३४ तए ण से जमाली अणगारे समणस्स भगवो महावीरस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव' एव परूवेमाणस्स एतमट्ठ नो सद्दहइ नो पत्तियइ नो रोएड, एतमट्ठ ग्रसहमाणे अपत्तियमाणे ग्ररोएमाणे दोच्च पि समणस्स भगवग्रो महावीरस्स प्रतियाग्रो प्रायाए अवक्कमइ, श्रवक्कमित्ता वहूहिं ग्रसन्भावुभावणाहिं भिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाण च पर च तदुभय च वुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे वहूइ वासाइ सामण्णपरियाग पाउणइ, पाउणित्ता श्रद्धमासियाए सलेहणाए प्रत्ताण भूसेइ, भूसेत्ता तीस भत्ताइ ग्रणसणाए छेदेइ, छेदेत्ता तस्स ठाणस्स प्रणाली - यपडिक्कते कालमासे काल किच्चा लतए कप्पे तेरससागरोवमठितीएसु देवव्विसिसु देवे देवकिव्विसियत्ताए उववन्ते ॥ ४६० २३५. तए ण भगव गोयमे जमालि अणगार कालगय जाणित्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसिता एव वयासी - एव खलु देवाणुप्पियाण ग्रतेवासी कुसिस्से जमाली नाम अणगारे से ण भते ! जमालो अणगारे कालमासे काल किच्चा कहि गए ? कहि उववन्ने ? गोयमादी ! समणे भगव महावीरे भगव गोयम एव वयासी - एवं खलु गोयमा | मम अतेवासी कुसिस्से जमाली नाम अणगारे, से ण तदा मम एवमाइक्खमाणस्स एव भासमाणस्स एव पण्णवेमाणस्स एव परूवेमाणस्स एतमट्ठ नो सद्दहइ नो पत्तियइ नो रोएइ, एतमट्ठ प्रसद्दहमाणे ग्रपत्तियमाणे अरोपमाणे, दोच्च पि मम अतिया श्रायाए ग्रवक्कमइ, ग्रवक्कमित्ता बहूहिं असव्भावुव्भावणाहिं “मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाण च पर च तदुभय च बुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे बहूइ वासाइ सामण्णपरियाग पाउणित्ता, श्रद्धमासियाए सलेहणाए प्रत्ताण भूसेत्ता, तीस भत्ताइ अणसणाए छेदेत्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कते कालमासे काल किच्चा लतए कप्पे तेरससागरोवमठितीएसु देवकिव्विसिसु देवेसु देवकिव्विसियत्ताए उववन्ने || २३६. कतिविहा ण भते । देवकिव्विसिया पण्णत्ता ? ० गोयमा । तिविहा देवकिव्विसिया पण्णत्ता, त जहा - तिपलिप्रोवमट्ठिइया, तिसाग रोवमट्टिइया, तेरससाग रोवमट्टिइया ॥ २३७. कहि ण भते । तिपलिप्रोवमट्टिइया देवकिव्विसिया परिवसति ? १. भ० १/४२० । २ द्वाणस्स (ता, म, स ) 1 ३ स० पा०त चेव जाव देव ० } o
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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