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अट्ठम सत (छट्ठो उद्देसो)
४ से य सपट्ठिए असपत्ते, अप्पणा य पुव्वामेव काल करेज्जा । से ण भंते । कि आराहए ? विराहए ? गोयमा | आराहए, नो विराहए। ५ से य सपट्ठिए सपत्ते, थेरा य अमुहा सिया । से ण भंते । किं आराहए ? विराहए? गोयमा । आराहए, नो विराहए। ६ से य सपट्टिए सपत्ते अप्पणा य 'अमुहे सिया । से ण भते । कि आराहए ? विराहए? गोयमा | पाराहए, नो विराहए। ७ से य सपट्टिए सपत्ते, थेरा य काल करेज्जा। से ण भते । कि पाराहए ? विराहए? गोयमा | पाराहए, नो विराहए। ८ से य सपट्ठिए सपत्ते अप्पणा य काल करेज्जा । से ण भते कि पाराहए ? विराहए ? गोयमा | पाराहए, नो विराहए । निग्गथेण य बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खतेण अण्णयरे अकिच्चट्ठाणे पडिसेविए, तस्स ण एव भवति-इहेव ताव अह एयस्स ठाणस्स
आलोएमि-एव एत्थ वि ते चेव अट्ठ पालावगा भाणियव्वा जाव नो विराहए। २५३ निग्गथेण य गामाणुगाम दूइज्जमाणेण अण्णयरे अकिच्चट्ठाणे पडिसेविए, तस्स
ण एव भवइ-इहेव ताव अह एयस्स ठाणस्स आलोएमि-एव एत्थ वि ते चेव अट्ठ आलावगा भाणियव्वा जाव नो विराहए ॥ निग्गथीए य गाहावइकुल पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठाए अण्णयरे अकिच्चट्ठाणे पडिसेविए, तीसे ण एव भवइ-इहेव ताव अह एयस्स ठाणस्स आलोएमि जाव तवोकम्म पडिवज्जामि, तो पच्छा पवत्तिणीए अतिय आलोएस्सामि जाव तवोकम्म पडिवज्जिस्सामि । सा य सपट्टिया असपत्ता, पवत्तिणी य अमुहा सिया। सा ण भते । कि आराहिया? विराहिया ? । गोयमा । पाराहिया, नो विराहिया । सा य सपट्ठिया जहा निग्गथस्स तिण्णि गमा भणिया एव निग्गथीए वि तिण्णि आलावगा भाणियव्वा जाव आराहिया, नो विराहिया ।।
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१ स० पा०-एव सपत्तेण वि चत्तारि आला- २ विचार (ता, म), वितार (ब) |
वगा भाणियन्वा जहेव असपत्तेण । ३. पवित्तिणीए (अ, ता, व, स)।