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________________ २७४ भगवई हंता भवइ। एवं खलु गोयमा । निस्सगयाए, निरंगणयाए, गतिपरिणामेणं अकम्मस्स गती पण्णायति ॥ कहण्ण भते | वधणछेदणयाए अकम्मस्स गती पण्णायति' ? गोयमा | से जहानामए कलसिबलिया इ वा, मुग्गसिवलिया इ वा, माससिंबलिया इ वा, सिबलिसिंवलिया इ वा, एरडमिजिया इ वा उण्हे दिन्ना' सुक्का समाणी फुडित्ता ण एगतमत गच्छइ । एव खलु गोयमा ! बंधणछेदणयाए अकम्मस्स गती पण्णायति ।। १४ कहण्ण भते । निरिधणयाए अकम्मस्स गती पण्णायति ? गोयमा से जहानामए धूमस्स इधणविप्पमुक्कस्स उड्ढ वीससाए निव्वाघाएणं गती पवत्तति । एव खलु गोयमा । निरिंधणयाए अकम्मस्स गती पण्णायति ॥ १५. कहण्ण भते । पुव्वप्पओगेण अकम्मस्स गती पण्णायति ? गोयमा | से जहानामए कडस्स कोदडविप्पमुक्कस्स लक्खाभिमुही निव्वाघाएण गती पवत्तइ । एव खलु गोयमा | पुवप्पयोगेण अकम्मस्स गती पण्णायति । एवं खलु गोयमा ! निस्सगयाएँ, निरगणयाए', 'गतिपरिणामेण, बधणछेदण याए, निरिधणयाए°, पुव्वप्पोगेण अकम्मस्स गती पण्णायति ।। दुपिखस्स दुक्खफासादि-पदं १६ दुक्खी भते ! दुक्खेण फुडे ? अदुक्खी दुक्खेण फुडे ? गोयमा | दुक्खी दुक्खेण फुडे, नो अदुक्खी दुक्खेण फुडे ॥ -१७ दुक्खी भते । नेरइए दुक्खेण फुडे ? अदुक्खी नेरइए दुक्खेण फुडे ? गोयमा | दुक्खी ने रइए दुक्खेण फुडे, नो अदुक्खी नेरइए दुक्खेण फुडे ।। १८. एव दडओ जाव' वेमाणियाण ।। १९ एवं पच दडगा नेयव्वा-१. दुक्खी दुक्खेणं फुडे २ दुक्खी दुक्ख परियायइ ३. दुक्खी दुक्ख उदीरेड ४ दुक्खी दुक्खं वेदेति ५. दुक्खी दुक्ख निज्जरेति ॥ इरियावहिय-संपराइय-किरिया-पदं २० अणगारस्स ण भते ! अणाउत्त गच्छमाणस्स वा, चिट्ठमाणस्स" वा, निसीय माणस्स वा, तुयट्टमाणस्स वा, अणाउत्त वत्थ पडिग्गहं कंबल पायपुछण गेण्ह १ पण्णत्ता (अ, क, ता, व, म, स)। २ सेंबलिमेंबलिया (ता)। ३ दित्ता (म)। ४. नीसगयाए (म, क, व, म, स)। ५ स० पा०—निरगणयाए जाव पुन्व° । . ६ पू० प०२। ७. सर्वेष्वपि पदेषु 'अरणाउत्त' इति पद गम्यम् ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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