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चोसम सत (दसमो उद्देसो)
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सत्तमासपरियाए समणे निग्गये सणकुमार - माहिदाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । अट्टमासपरियाए समणे निग्गथे बभलोग-लतगाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । नवमासपरियाए समणे निग्गथे महासुक्क - सहस्साराण देवाण तेयलेस्स aas |
दसमासपरियाए समणे निग्गथे प्रणय-पाणय- आरणच्चुयाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ |
एक्कारसमासपरियाए समणे निग्गथे गेवेज्जगाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । बारसमासपरियाए समणे निग्गथे प्रणुत्तरोववाइयाण देवाण तेयलेस्स वीईवयइ । तेण पर सुक्के सुक्काभिजाए भवित्ता तो पच्छा सिज्झति बुज्झति मुच्चति परिनिव्वायति सव्वदुक्खाण • प्रत करेति ॥
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१३७ सेव भते । सेव भते । त्ति जाव' विहरइ ॥
दसमो उद्देसो
केवलि-पदं
१३८. केवली ण भते ! छउमत्थ' जाणइ-पासइ
हता जाणइ-पासइ ॥
१३६. जहा ण भते । केवली छउमत्थ जाणइ-पास, तहा ण सिद्धे वि छउमत्थ
जाणइ-पासइ ?
सिज्झति जाव प्रत ।
हता जाणइ पासइ ||
१४०. केवली ण भते । ग्राहोहिय' जाणइ पासइ ? एव चेव । एव परमाहोहिय, व केवल, एव सिद्ध जाव -
१४१ जहा ण भते । केवली सिद्ध जाणइ पासइ, तहाण सिद्धे वि सिद्ध जाणइ
?
पासइ
हता जाणइ-पासइ ॥
१ स० पा०
२ भ० १५१ ।
३ छदुमत्थ (ता), छतुमत्थ ( ब ) । ४. आघोधिय ( अ, स), आवोघीय (क), होधिय (ख), अघोविय (ता), आधोविय
?
(a ), आघोहिय (म ) |
५. परमावधिय ( अ ), परमावोहिय ( क); परमोविय (ख), परमहोहिय ( ता ), परमाधोविय (व), परमाघोहिय ( म, स ) ।