________________
पन्नरसमं सत
६६१ बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एव भासइ एव पण्णवेइ एव परूवेइ -धन्ने ण देवाणुप्पिया | आणदे गाहावई, कयत्थे ण देवाणुप्पिया | आणदे गाहावई, कयपुण्णे ण देवाणुप्पिया । प्राणदे गाहावई, कयलक्खणे ण देवाणुप्पिया । आणदे गाहावई, कया ण लोया देवाणुप्पिया | प्राणदस्स गाहावइस्स, सुलद्धे ण देवाणुप्पिया | माणस्सए जम्मजीवियफले आणदस्स गाहावइस्स, जस्म ण गिहसि तहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइ पच दिव्वाइ पाउव्भूयाइ, त जहा वसुधारा वुढा जाव अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे, त धन्ने कयत्ये कयपुण्णे कयलक्खणे, कया ण लोया, सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले
प्राणदस्स गाहावइस्स, पाणदस्स गाहावइस्स ।। ३५ तए ण से गोसाले मखलिपुत्ते वहुजणस्स अतिए एयम? सोच्चा निसम्म समुप्पन्न
ससए समुप्पन्नकोउहल्ले जेणेव प्राणदस्स गाहावइस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासइ प्राणदस्स गाहावइस्स गिहसि वसुहार वुढ़, दसद्धवण्ण कुसुम निवडिय, मम च ण आणदस्स गाहावइस्स गिहाओ पडिनिक्खममाण पासड, पासित्ता हट्टतुट्टे जेणेव मम अतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मम तिवखुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता मम वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता मम एव वयासी-तुम्भे ण भते । मम धम्मायरिया, अहण्ण तुब्भ
धम्मतेवासी। ३६ तए ण अह गोयमा | गोसालस्स मखलिपुत्तस्स एयमट्ठ नो पाढामि, नो परि
जाणामि, तुसिणीए सचिट्ठामि ।। तच्च-मासखमरण-पदं ३७ तए ण अह गोयमा | रायगिहाम्रो नगरायो पडिनिक्खमामि, पडिनिक्खमित्ता
नालद बाहिरिय मज्झमझेण निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव ततुवायसाला, तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता° तच्च मासखमण उवसपज्जित्ताण
विहरामि ।। ३८ तए ण अह गोयमा । तच्च'-मासखमणपारणगसि ततुवायसालाओ पडिनिक्ख
मामि, पडिनिक्खमित्ता नालद वाहिरिय मज्झमझेण निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्झिमाइ कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए° अडमाणे
सुणदस्स गाहावइस्स गिह अणुपवितु॥ ३६ तए ण से सुणदे गाहावई "मम एज्जमाण पासइ, पासित्ता हट्ठतुटु चित्तमाणदिए १, तच्च (क, ख, व)।
सव्वकामगुणि एण भोयणेण पडिलाभेइ २. स० पा०-तहेव जाव अडमाणे ।
सेस त चेव जाव चउत्थ । ३ स० पाए -एव जहेव विजयगाहावई नवर