SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 805
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवई ३३. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - देवे णं' महिड्दिए जाव महेसक्खे पुव्वामेव रूवी भवित्ता • नो पभू ग्ररूवि विजव्वित्ता णं चिट्ठित्तए o ? - गोयमा । अहमेयं जाणामि, ग्रहमेय पासामि, ग्रहमेयं वज्झामि ग्रमेयं श्रभिसमण्णागच्छामि', 'मए एय" नाय, मए एय दिट्ठ, मम एयं बुद्धं, भए एवं अभिसमण्णागय – जण्ण तहागयस्स जीवस्स सरूविस्स, सकम्मस्स, सरागस्स, सवेदस्स, समोहस्स, सलेसस्स, ससरीरस्स, ताम्रो सरीराओ ग्रविप्पमुक्कस्स एव पण्णायति, त जहा - कालत्ते वा जाव सुक्किलत्ते वा, सुभिगंधत्ते वा, दुब्भिगधत्ते वा, तित्तत्ते वा जाव महुरत्ते वा, कक्खडत्ते वा जाव लुक्खत्ते वा । से तेणद्वेण गोयमा' | 'एव बुच्चइ - देवे ण महिढिए जाब महेसक्खे पुव्वामेव रूवी भवित्ता नो पभू अरूवि विउव्वित्ता णं चिट्ठित्त || ० ३४. सच्चेव ण भते ! से जीवे पुव्वामेव अरूवो भवित्ता पभू रूवि विउव्वित्ताण चिट्ठित्तए ? ७४४ नो इट्टे समट्ठे ॥ ३५. से केणट्टेण भते । एव वच्चइ - सच्चेव ण से जीवे पुव्वामेव प्ररूवी भवित्ता नोपभू रूवि विउव्वित्ता चिट्ठित्तए ? -- गोयमा ! अमेय जाणामि, ग्रहमेयं पासामि, अहमेय वुज्झामि श्रहमेयं अभिसमण्णागच्छामि, मए एय नायं, मए एय दिट्ठ, मम एय बुद्धं, मए एवं अभिसमण्णागय ०. - जण्ण तहागयस्स जीवस्स अरू विस्स, प्रकम्मस्स, अरागस्स, अवेदस्स, अमोहस्स, अलेसस्स, असरीरस्स, ताम्रो सरीराम्रो विप्पमुक्कस्स नो एवं पण्णायति, त जहा - कालत्ते वा जाव सुक्किलत्ते वा, सुविभगधत्ते वा, दुभिधत्ते वा, तित्तत्ते वा जाव महुरते वा, कक्खडत्ते वा जाव • लुक्खत्ते वा । से तेणट्टेण' 'गोयमा ! एवं वच्चइ – सच्चेव ण से जीवे पुव्वामेव प्ररुवी भवित्तानो पभू रूवि विउव्वित्ता ण चिट्ठित्तए ॥ ३६. सेव भते ! सेव भते ! त्ति" | o १. सं० पा० ण जाव नो । २. अभिसमागच्छामि ( अ, क, ख, ता, ब, म, वृ) । ३. मएतं (ता) सर्वत्र । ४. सवेदरणस्स (ता, स ) । ५. स० पा० – गोयमा जाव चिट्ठित्तए । ६. स० पा० -- समट्ठे जाव चिट्ठित्तए । ७ स० पा०-- जाणामि जाव जण्ण । ८. स० पा०—कालत्ते वा जाव लुक्खत्ते । - तेराट्ठेणं जाव चिट्टित्तए । ६. स० पा० १०. भ० १५१ ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy