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________________ २३४ भगवई सुवामतराए चेव, सुपरिकम्मतराए चेव ; जे वा से वत्ये कद्दम रागरत्ते? जे वा से वत्थे खजणरागरत्ते? भगव । तत्थ ण जे से कद्दमरागरत्ते, से ण वत्थे' दुद्धोयतराए चेव, दुवामतराए चेव, दुप्परिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा | नेरइयाण पावाइ कम्माइ गाढीकयाइ, चिक्कणीकयाइ', सिलिट्ठीकयाइ, खिलीभूताइ' भवति । सपगाढ पि य ण ते वेदण वेदेमाणा नो महानिज्जरा, नो महापज्जवसाणा भवति । से जहा वा केइ पुरिसे अहिगरणि पाउडेमाणे महया-महया सद्देण, महया-महया घोसेण, महया-महया परपराघाएण नो सचाएइ तीसे अहिगरणीए केइ अहावायरे पोग्गले परिसाडित्तए, एवामेव गोयमा । नेरइयाण पावाइ कम्माइ गाढीकयाइ', 'चिक्कणीकयाइ, सिलिट्ठीकयाइ, खिलीभूताइ भवति । सपगाढं पि य ण ते वेदण वेदेमाणा नो महानिज्जरा,° नो महापज्जवसाणा भवति । भगव । तत्थ जे से खजणरागरत्ते, से ण वत्थे सुद्धोयतराए चेव, सुवामतराए चेव, सपरिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा ! समणाण निग्गथाण अहाबायराइ कम्माइ सिढिलीकयाइ, निट्टियाइ कयाइ", विप्परिणामियाइ खिप्पामेव विद्धत्थाइ भवति । जावतिय तावतिय पि ण ते वेदण वेदेमाणा महानिज्जरा, महापज्जवसाणा भवति । से जहानामए केइ पुरिसे सुक्क तणहत्थय जायतेयसि पक्खिवेज्जा, से नूण गोयमा। से मुक्के तणहत्थए जायतेयसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जति ? हता मसमसाविज्जति । एवामेव गोयमा । समणाणं निग्गथाण अहाबायराइ कम्माइ", सिढिलीकयाइ, निट्टियाइ कयाइ, विप्परिणामियाइ खिप्पामेव विद्धत्थाइ भवति । जावतिय तावतिय पि ण ते वेदण वेदेमाणा महानिज्जरा,° महापज्जवसाणा भवति । से जहानामए केइ पुरिसे तत्तसि अयकवल्लसि उदगबिंदु२ •पक्खिवेज्जा, से नण गोयमा ! से उदगबिंदु तत्तसि अयकवल्लसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धसमागच्छइ ? हता विद्धसमागच्छइ। १. से वत्थे (क, व, म)। ७. स. पा०-गाढीकयाइ जाव नो। २. भते (व, म)। ८. °साणाइ (अ, स)। ३. ४ (अ)। ६ से वत्थे (अ, क, ता, व, म, स)। ४. सिढिलीकयाइ (म, स)। १० कडाइ (अ, क, ता, ब, म, स)। ५ खिलीकयाइं (अ, स)। ११ स० पा०-कम्माइ जाव महा° । ६. आकोडेमाणे (अ, क, ता, व, म, स)। १२. स० पा०-उदगविदु जाव हता।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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