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________________ ४४६ भगवई खलु जाया | निग्गये पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवले' पडिपुण्णे नेयाउए ससुद्धे सल्लगत्तणे सिद्धिमग्गे मुत्तिमग्गे निज्जाणमग्गे निव्वाणमग्गे अवितहे अविसंधि सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे, एत्थ ठिया जीवा सिझति वुज्झति मुच्चति परिनिवायति ° सव्वदुक्खाण अत करेति । अहीव एगतदिट्ठीए, खुरो इव एगतधाराए, लोहमया जवा चावेयव्वा, वालुयाकवले इव निस्साए, गगा वा महानदी पडिसोयगमणयाए, महासमुद्दो वा भुयाहिं दुत्तरो, तिक्ख कमियब्व, गरुय लवेयव्व, असिधारग वय चरियव्व । नो' खलु कप्पइ जाया | समणाण निग्गथाण अहाकम्मिए इ वा, उद्देसिए इ वा, मिस्सजाए इवा, अझोयरए इ वा, पूडए इ वा, कीते इ वा, पामिच्चे इ वा, अच्छेज्जे इ वा, अणिसटे इ वा, अभिहडे इ वा, कंतार भत्ते इ वा, दुभिक्खभत्ते इ वा, गिलाणभत्ते इ वा, वद्दलियाभत्ते इ वा, पाहुणगभत्ते इ वा, सेज्जायरपिडे इ वा, रायपिडे इ वा, मूलभोयणे इ वा, कदभोयणे इ वा, फलभोयणे इ वा, वीयभोयणे इ वा, हरियभोयणे इ वा, भोत्तए वा पायए वा। तुम सि च ण जाया | सुहसमुचिए नो चेव ण दुहसमुचिए, नाल सीय, नाल उण्ह, नाल खुहा, नाल पिवासा, नाल चोरा, नाल वाला, नाल दसा, नालं मसगा, नाल वाइय-पित्तिय-सेभिय-सन्निवाइए विविहे रोगायंके, परिस्सहोवसग्गे उदिण्णे अहियासेत्तए । त नो खलु जाया | अम्हे इच्छामो तुभं खणमवि विप्पयोग, त अच्छाहि ताव जाया जाव ताव अम्हे जीवामो तो पच्छा अम्हेहिं 'कालगएहि समाणेहि परिणयवए, वढियकुलवसततकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स भगवग्रो महावीरस्स अतिय मुडे भवित्ता अगाराओ अण गारिय° पव्वइहिसि ॥ १७८ तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एव वयासी-तहा वि ण त अम्मताओं' | जण्ण तुन्भे मम एव वदह- एव खलु जाया । निग्गथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवले त चेव जाव पव्वइहिसि, एव खलु अम्मतायो । निग्गथे पावयणे कीवाण कायराण कापुरिसाण इहलोगपडिवद्धाण परलोगपरम्हाण विसयतिसियाण दुरणुचरे पागयजणस्स, धीरस्स निच्छियस्स ववसियस्स नो खलु एत्थ किचि वि दुक्कर करणयाए, त इच्छामि ण अम्मताओ ! तुन्भेहि १. स० पा०-जहा आवस्सए जाव सव्व ° । २ गुरुय (अ)। ३ णो य (अ, ता, व)। ४. मीसजाए (ता), मिस्साजाए (व)। ५ उज्झो ° (अ, स)। ६ स० पा० -- अम्हेहिं जाव पव्वइहिसि । ७ अम्मयाओ (अ, स)। ८ भ० ६।१७७ ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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