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________________ भगवई •सपलियकनिसणे करयलपरिग्गहिय दसनह सिरसावत्त मत्थए ग्रजलि कट्टु एव वयासी – जाइ ण भते । मम पियवालवयसस्स वरुणस्स नागनत्तु यस्स सीलाइ वयाइ गुणाइ वेरमणाइ पच्चवखाण - पोसहोववासाइ, ताइ ग 'मम पि भवतु त्ति कट्टु सण्णाहपट्ट मुयइ, मुइत्ता सल्लुद्धरण करेड, करेत्ता ग्राणुपुब्वीए कालगए ।। २०५ तए ण त वरुण नागनत्तुय कालगय जाणित्ता ग्रहासन्निहिएहि वाणमतरेहि देवेहि दिव्वे सुरभिगधोदगवासे वुट्टे, दसद्धवण्णे कुसुमे निवातिए, दिव्वे य गीय - गधव्वनिनादे कए या वि होत्या ।। ३०८ | २०६ तए ण तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स त दिव्व देविड्ढि दिव्व देवज्जुति दिव्व देवाणुभाग सुणित्ता य पासित्ता य बहुजणो ग्रण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ–एव खलु देवाणुप्पिया । वहवे मणुस्सा' ग्रण्णयरेसु उच्चावएसु सगामेसु ग्रभिमुहा चेव पहया समाणा कालमासे कालं किच्चा ग्रण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवति ।। ० २०७ वरुणे ण भते | नागनत्तुए कालमासे काल किच्चा कहि गए ? कहि उववन्ने ? गोयमा | सोहम्मे कप्पे, ग्ररुणाभे विमाणे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ ण प्रत्येगतियाण देवाण चत्तारि पलियोवमाइ ठिती पण्णत्ता । तत्थ ण वरुणस्स वि देवस्स चत्तारि पलिप्रोवमाइ ठिती पण्णत्ता ॥ २०८ से ण भते | वरुणे देवे ताम्रो देवलोगाग्रो ग्राउक्खएण, भवक्खएण, ठिइक्खएण' ग्रणतर चय चइत्ता कहि गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति वुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाण • अत करेहिति ॥ २०६ वरुणस्स ण भते । नागनत्तुयस्स पियबालवयसए कालमासे काल किच्चा कहि गए ? कहि उववन्ने ? गोयमा । सुकुले पच्चायाते ॥ २१० से ण भते | तोहितो हिति ? 1 गोयमा ' महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव' त काहिति ॥ २११ सेव भते । सेव भते ! त्ति' | तर उब्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जि १. ममवि (व) | २. ओमुयति ( अ, क, ता, व ) 1 ३. निवाडिते ( अ, क, ता ) । ४ भ० १४२० । ५ स० पा०- - मरगुस्सा जाव उववत्तारो । ६ स० पा० – ठिइक्खएण जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जावत । ७. भ० ७।२०८ । भ० १।५१ ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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