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वारसम सतं ( पढमो उद्देमो)
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णाइ पुच्छति, पुच्छित्ता अट्ठाइ परियादियति, परियादियित्ता उट्ठाए उट्ठेति, उट्ठेत्ता समणस्स भगवन महावीरस्स प्रतियाओ कोट्टया चेइया पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव सावत्थी नगरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए || ४ तए ण से सखे समणोवासए ते समणोवासए एव वयासी - तुभे ण देवाणुप्पिया ! विपुल असण पाण खाइम साइम” उवक्खडावेह । तए ण म्हे त विपुल असण पाणखाइम साइम अस्साएमाणा' विस्साएमाणा 'परिभाएमाणा परिभुजेमाणा " पक्खिय पोसह पडिजागरमाणा विहरिस्सामो ॥
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तण ते समणोवासगा सखस्स समणोवासगस्स एयमट्ट विणएण पडिसुणेति । तएण तस्स सखस्स समणोवासगस्स श्रयमेयारूवे अज्झत्थिए' चितिए पत्थिए मोग सप्पे • समुज्जित्था - नो खलु मे सेय त विपुल असण पाण खाइम' साइम अस्साएमाणस्स विस्साएमाणस्स परिभाएमाणस्स परिभुजेमाणस्स पक्खिय पोसह' पडिजागरमाणस्स विहरित्तए, सेय खलु मे पोसहसालाए पोसहियस्स वभचारिस्स प्रोमुक्कमणि - सुवण्णस्स ववगयमाला - वण्णग - विलेवणस्स निक्खित्तसत्य - मुसलस्स एगस्स प्रविश्यस्स दव्भसथारोवगयस्स पक्खिय पोसह पडिजागरमाणस्स विहरितए त्ति कट्टु एव सपेहेइ, सपेहेत्ता जेणेव सावत्थी नगरी, जेणेव सए गिहे, जेणेव उप्पला समणोवासिया, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छत्ता उप्पल समणोवासिय ग्रापुच्छइ, ग्रापुच्छित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसाल ग्रणुपविस्स, प्रणुपविस्सित्ता पोसहसाल पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता दव्भसथारग सथरइ, सथरित्ता दव्भसथारग दुरुहइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए बभचारी" ओमुक्कमणि- सुवण्णे ववगयमाला - वण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्य-मुसले एगे अवि दव्भसथारोवगए पक्खिय पोसह पडिजागरमाणे विहरइ ॥ तए ण ते समणोवासगा जेणेव सावत्थी नगरी जेणेव साइ-साइ गिहाइ, तेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता विपुल ग्रसण पाण खाइम साइम उवक्खडावेति, उवक्खडावेत्ता अण्णमण्ण सद्दावेति, सद्दावेत्ता एव वयासी - एव खलु देवाणु
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१. पडियाइयति ( ता ) |
२. श्रसरणपाणखाइमसाइम (क, ख, ता, व, म) ।
३. आसाएमारणा ( स ) 1
४ परिभुजेमाणा परिभाएमारणा ( अ, क, ख, स), परिभुजमारणा
(ता) ।
५ पोसहिय ( त ) ( ख, ता, म ) |
६. स० पा० – अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था ।
७ जाव ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) ।
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परियाभाएमारणा १०
११.
पोसहिय ( ख, ता, म, ) ।
उम्मुक्क ० ( ब म ) ।
• मल्लग (ता) |
स० पा० - वभचारी जाव पक्खिय |