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________________ ५८० भगवई १८८. जइ देवेसु उववज्जति किं भवणवासि-पुच्छा।। गोयमा | नो भवणवासिदेवेसु उववज्जति, नो वाणमतरदेवेसु उववज्जति, नो जोइसियदेवेसु उववज्जति, वेमाणियदेवेसु उववज्जति । सव्वेमु वेमाणिएसु उववज्जति जाव सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय"वेमाणियदेवेमु० उववज्जति, अत्थेगतिया सिज्झति जाव सव्वदुक्खाण अत करेति ॥ १८६ देवातिदेवा अणतर उव्वट्टित्ता कहि गच्छति ? कहि उववज्जति ? गोयमा | सिज्झति जाव' सव्वदुक्खाण अत करेति ।। १६० भावदेवा ण भते । अणतर उव्वट्टित्ता- पुच्छा। जहा' वक्कतीए असुरकुमाराण उव्वट्टणा तहा भाणियव्वा ।। पंचविह-देवाणं संचिट्ठणा-पद १६१. भवियदव्वदेवे ण भते । भवियदव्वदेवे त्ति कालमो केवच्चिर होइ ? गोयमा ! जहण्णेण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण तिण्णि पलिओवमाइ । एव जच्चेव ठिई सच्चेव सचिट्ठणा वि जाव भावदेवस्स, नवर-धम्मदेवस्स जहण्णेण एक्क समय, उक्कोसेण देसूणा पुव्वकोडी ।। पंचविह-देवाणं अंतर-पद १६२. भवियदव्वदेवस्स ण भते । केवतिय काल अतर होइ ? गोयमा | जहण्णेण दसवाससहस्साइं अतोमुहुत्तमब्भहियाइ, उक्कोसेण अणत काल-वणस्सइकालो ॥ १६३ नरदेवाण-पुच्छा। गोयमा | जहण्णेण सातिरेग सागरोवम, उक्कोसेण अणत काल-अवड्ढ पोग्गलपरियट्ट देसूण ॥ १६४. धम्मदेवस्स ण-पुच्छा। गोयमा । जहण्णेण पलिअोवमपुहत्त, उक्कोसेण अणत काल जाव अवड्ढ पोग्गलपरियट्ट देसूण ॥ १६५ देवातिदेवाण--पुच्छा। गोयमा | नत्थि अंतरं ॥ १६६. भावदेवस्स ण-पुच्छा। गोयमा । जहण्णण अतोमुहुत्त, उक्कोसेण अणतं काल-वणस्सइकालो ॥ १ स० पा०-० अणुत्तरोववाइय जाव उव ° २ भ० ११४४। ३. प०६। ४ केवचिर (अ, क, ख, म)। ५ जहेव (ब, स)।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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