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भगवई
एगते एडेइ, एडेत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोय करेइ, करेत्ता समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव जहेव उसभदत्तो तहेव पव्वइओ, तहेव एक्कारस अगाइं अहिज्जइ, तहेव
सव्व जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ ८८.
भतेति ! भगव गोयमे समण भगव महावीर वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी-जीवा ण भते ! सिज्झमाणा कयरम्मि सघयणे सिज्झति ? गोयमा ! वइरोसभणारायसघयणे सिज्झति, एव जहेव ओववाइए तहेव ।
'सघयण सठाण, उच्चत आउय च परिवसणा।२ एव सिद्धिगडिया निरवसेसा भाणियव्वा जाव'
अव्वावाह सोक्ख, अणुहोति सासय सिद्धा ।। ५९ सेव भते । सेव भते ! त्ति ॥
दसमो उद्देसो खेत्तलोय-पदं १०. रायगिहे जाव' एवं वयासी-कतिविहे णं भते ! लोए पण्णत्ते ?
गोयमा । चउविहे लोए पण्णत्ते, त जहा-दव्वलोए, खेत्तलोए, काललोए, भावलोए॥ खेत्तलोए ण भते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, त जहा-अहेलोयखेत्तलोए', तिरियलोयखेत्तलोए,
उड्ढलोयखेत्तलोए। ६२ अहेलोयखेत्तलोए ण भते । कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा | सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा–रयणप्पभापुढविअहेलोयखेत्तलोए" जाव' अहेसत्तमापुढविअहेलोयखेत्तलोए ।।
१. म० ६।१५०,१५१॥
५. भ० १।४-१०॥ २ एतत् सराहगाथाघ औपपातिके नोपलभ्यते । ६ अहो ° (अ, क, म, स), अधे ० (ता)।
दन पुतश्चिद् अन्यस्थानाद् उद्धृतमन्ति। ७ रयणप्पभ • (ता)। ३. मो० सू० १६५
८ भ० २।७५ ४, न०१५॥