________________
नवम सत (तेत्तीसइमो उद्देसी)
४५७ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पर्चाह अणगारसएहि सद्धि बहिया जणवय
विहार विहरइ॥ २२१ तेण कालेण तेण समएण सावत्थी नाम नयरी होत्था-वण्णओ', कोदए
चेइए-वण्णो जाव' वणसडस्स । तेण कालेण तेण समएण चपा नाम नयरी
होत्था-वण्णओ' । पुण्णभद्दे चेइए-वण्णओ जाव पुढविसिलापट्टयो । २२२ तए ण से जमाली अणगारे अण्णया कयाइ पचहि अणगारसएहि सद्धि सपरिवुडे
पुवाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुग्गाम दुइज्जमाणे जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव कोट्ठए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूव प्रोग्गह रोगिण्हइ,
ओगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ॥ २२३. तए ण समणे भगव महावीरे अण्णया कयाइ पुव्वाणुपुग्वि चरमाणे 'गामाणु
ग्गाम दूइज्जमाणे ° सहसहेण विहरमाणे जेणेव चपा नयरी जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिण्हइ,
अोगिण्हित्ता सजमेण तवसा अप्पाण भावेमाणे विहरइ ।। २२४ तए ण तस्स जमालिस्स अणगारस्स तेहि 'अरसेहि य', विरसेहि य अतेहि य,
पतेहि य, लू हेहि य, तुच्छेहि य, कालाइक्कतेहि य, पमाणाइक्कतेहि य पाणभोयणेहि अण्णया कयाइ सरीरगसि विउले रोगातके पाउन्भूए-उज्जले विउले पगाढे कक्कसे कडुए चडे दुवखे दुग्गे तिव्वे दुरहियासे। पित्तज्जरपरि
गतसरीरे, दाहवक्कतिए या वि विहरइ ॥ २२५ तए ण से जमाली अणगारे वेयणाए अभिभूए समाणे समणे निग्गथे सहावेइ,
सद्दावेत्ता एव वयासी-तुम्भे ण देवाणुप्पिया । मम सेज्जा-सथारग सथरह ।। २२६. तए ण ते समणा निग्गथा जमालिस्स अणगारस्स एतमट्ठ विणएण पडिसुणेति,
पडिसुणेत्ता जमालिस्स अणगारस्स सेज्जा-सथारग सथरति ॥ २२७ तए ण से जमाली अणगारे बलियतर वेदणाए अभिभूए समाणे दोच्च पि समणे
निग्गथे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एव वयासी-मम" ण देवाणुप्पिया | सेज्जासथारए किं कडे ? कज्जइ ? तते ण ते समणा निग्गथा जमालि अणगार एव वयासी-नो खलु देवाणुप्पियाण
सेज्जा-सथारए कडे, कज्जइ ।। १. ओ० सू० १।
७. य सीओएहि य (अ), य सीएहिं (ब), य २ ओ० सू० २-१३ ।
___ सीतेहि य (स)। ३ ओ० सू० १।
८. वितुले (ब, म), तिउले (स, वृ), विउले ४. मो० सू० २-१३ ।
(वृपा)। ५ स० पा०-चरमाणे जाव सुहसुहेण । ६ दाहवुक्कतिए (ब)। ६ अरसेहिं या (क, ता, ब) सर्वत्र । १०. मम (अ, स)।