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छुटुं सत (सत्तमो उद्दसी)
२५६ लिक्खा", अट्ठ लिक्खाप्रो सा एगा जूया, अट्ठ जूयानो से एगे जवमझ, अट्ठ जवमझा से एगे अगुले। एएण अगुलपमाणेणं छ अगुलाणि पादो, बारस अगुलाइ विहत्थी', चउवीस अगुलाइ रयणी, अडयालीस अगुलाइ कुच्छी; छन्नउति' अगुलाणि से एगे दडे इ वा, धणू इ वा, जूए इ वा, नालिया इ वा, अक्खे इ वा, मुसले इ वा। एएण धणुप्पमाणेण दो धणुसहस्साड गाउय, चत्तारि गाउयाड जोयण । एएण जोयणप्पमाणेण जे पल्ले जोयण पायाम-विक्खभेण, जोयण उड्ढ उच्चत्तेण, त तिउण, सविसेस परिरएण-से ण एगाहिय-बेहिय-तेहिय', उक्कोस सत्तरत्तप्परूढाण समढे सनिचिए भरिएवालग्गकोडीण। ते ण वालग्गे नो अग्गी दहेज्जा, नो वातो हरेज्जा, नो कुच्छेज्जा', नो परिविद्धसेज्जा, नो पूतित्ताए हव्वमागच्छेज्जा। तोण वाससए-वाससए गते"एगमेग वालग्ग अवहाय"जावतिएण कालेणसे पल्ले
खोणे निरए निम्मले निट्ठिए निल्लेवे अवहडे विसुद्धे भवइ । से त्त पलिअोवमे । गाहा
२ एएसि पल्लाण, कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया । त सागरोवमस्स उ, एक्कस्स भवे परिमाण ।।
१ प्रस्तुतपाठे भरतैरवतयोर्मनुष्याणामुल्लेखो अट्ठ भरहेरवयाण मणुस्साण वालग्गा सा
नास्ति, अनुयोगद्वारसूत्रे विद्यते । तस्य पूर्ण- एगा लिक्खा (अ० सू० ३९६) । पाठ इत्थमस्ति
२. वितत्थी (अ)। अट्ठ देवकुरु-उत्तरकुरुगाण मणुस्साण वालग्गा ३ छण्हउइ (ता)। हरिवास-रम्मगवासाण मणुस्साण से एगे ४ तिओरण (अ)। वालग्गे।
५ षष्ठीबहुवचनलोपाद् एकाहिकठ्याहिकत्र्याहिअट्ट हरिवास-रम्मगवासाणम णुस्साण वालग्गा काणाम् (वृ)। हेमवय-हेरण्णवयाण मणुम्साण से एगे ६ ससटे (अ, म)। वालग्गे।
७ हरिए (ता)। अट्ट हेमवय-हेरण्णवयाण मणुस्साण वालग्गा ८ कुत्येज्जा (अ, ब, म)। पुव्वविदेह-अवर विदेहाण मणुस्साण से । तए (अ, क)। एगे वालग्गे।
१०. x (अ, ता, म, स)। अट्ठ पुव्वविदेह-अवरविदेहाण मणुस्साण ११. अवहाय २ (ता)। वालग्गा भरहेरवयाणं मणुस्साण से एगे वालग्गे।