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भगवई हता गोयमा | जावतिय ण खेत्त' •उदयते सूरिए आयवेण सव्वनो समता प्रोभासेइ उज्जोइए तवेइ पभासेइ, अत्थमते वि य ण सूरिए तावइय चेव खेत्त
आयवेण सव्वग्रो समता प्रोभासेइ उज्जोएइ तवेइ° पभासेइ ॥ २५८. त भते ! कि पुट्ठ प्रोभासेइ ? अपुटु अोभासेइ ?
गोयमा ! पृट्र प्रोभासेइ, नो अपूट ॥ २५६. त भते । किं प्रोगाढ प्रोभासेइ ? अणोगाढ प्रोभासेइ ?
गोयमा ! प्रोगाढ प्रोभासेइ, नो अणोगाढ ॥ २६०. त भते ! किं प्रणतरोगाढ अोभासेइ ? परपरोगाढ प्रोभासेइ ?
गोयमा । अणतरोगाढ प्रोभासेइ, नो परपरोगाढ ॥ २६१. त भते । कि अणु अोभासेइ ? बायर प्रोभासेइ ?
गोयमा | अणु पि अोभासेइ, वायर पि अोभासेइ ॥ २६२. त भते । किं उड्ढ अोभासेइ ? तिरियं प्रोभासेइ ? अहे अोभासेइ ?
गोयमा | उड्ढ पि अोभासेइ, तिरिय पि अोभासेइ, अहे पि अोभासेइ ।। २६३. त भते ! कि आइं प्रोभासेइ ? मज्झे प्रोभासेइ ? अते प्रोभासेइ ?
गोयमा । अाइ पि अोभासेइ, मज्झे पि अोभासेइ, अते पि ओभासेइ ॥ २६४. त भते । किं सविसए प्रोभासेइ ? अविसए प्रोभासेइ ?
गोयमा ! सविसए अोभासेइ, नो अविसए।। २६५. त भते ! कि प्राणपुवि अोभासेइ ? अणाणपूवि प्रोभासेइ ?
गोयमा ! प्राणुपुवि प्रोभासेइ, नो अणाणुपुवि ।। २६६. त भते ! कइदिसि प्रोभासेइ ?
___गोयमा । नियमा° छद्दिसि प्रोभासेइ ।। २६७. एव-उज्जोवेइ तवेइ पभासेइ॥ फुसरणा-पदं २६८ से नूणं भते । सव्वति सव्वावति फुसमाणकालसमयसि जावतिय खेत्त फसइ
तावतिय फुसमाणे पुढे त्ति वत्तव्व सिया ? हता गोयमा ! सव्वति' 'सव्वावति फुसमाणकालसमयसि जावतियं खेत्तं
फुसइ तावतिय फुसमाणे पुढे त्ति° वत्तव्व सिया ॥ २६६. त* भते । किं पुटुं फुसइ । ? अपुटु फुसइ ?
गोयमा ! पुट्ठ फुसइ, नो अपुट्ठ जाव' नियमा छद्दिसि फुसइ ॥ . १. स० पा०-खेत्त जाव पभासेड।। सारि चापि न दृश्यते, किन्तु सर्वासु प्रतिपु २. स० पा०-ओभासेइ जाव छट्टिसि ।
उपलब्धमस्ति । ३. म० पा०-सव्वति जाव वत्तव्व । ५. भ० ११२५८-२६६ । ४. एतत् सूत्र वृत्ती व्याख्यात नास्ति, प्रकरणानु