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________________ ८२८ भगवई णस्स जघाचारणलद्धी नाम लद्धी समुप्पज्जति । से तेणटेण' गोयमा । एव वुच्चइ-जघाचारणे-जघाचारणे॥ ८५ जघाचारणस्स ण भते । कह सीहा गती, कह सीहे गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा । अयण्ण जवुद्दीवे दीवे जाव किचिविसेसाहिए परिक्खेवण । देवे ण महिड्डीए जाव महेसक्खे जाव इणामेव-इणामेव त्ति कटु केवलकप्प जबुद्दीव दीव तिहिं अच्छरानिवाएहि तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ता ण हव्वमागच्छेज्जा, जघाचारणस्स ण गोयमा । तहा सीहा गती, तहा सीहे गतिविसए पण्णत्ते' । ८६. जघाचारणस्स ण भते । तिरिय केवतिए गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा । से ण इनो एगेण उप्पाएण रुयगवरे दीवे समोसरण करेति, करेत्ता तहि चेइयाइ वदति, वदित्ता तओ पडिनियत्तमाणे बितिएण उप्पाएण नदीसरवरदीवे समोसरण करेति, करेत्ता तहिं चेइयाइ वदति, वदित्ता इहमागच्छइ, प्रागच्छित्ता इह चेइयाइ वदति, जघाचारणस्स ण गोयमा । तिरिय एवतिए गतिविसए पण्णत्ते ॥ ८७ जघाचारणस्स ण भते । उड्ढ केवतिए गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा । से ण इनो एगेण उप्पाएण पडगवणे समोसरण करेति, करेत्ता तहि चेइयाइ वदति, व दित्ता तो पडिनियत्तमाणे वितिएण उप्पाएण नदणवणे समोसरण करेति, करेत्ता तहि चेइयाइ वदति, वदित्ता इहमागच्छइ, आगच्छित्ता इह चेइयाइ वदति, जघाचारणस्स ण गोयमा | उड्ढ एवतिए गतिविसए पण्णत्ते । से ण तस्स ठाणस्स प्रणालोइय-पडिक्कते काल करेइ नत्थि तस्स पाराहणा । से ण तम्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कते काल करेति अस्थि तस्स आराहणा॥ ८८ सेव भते । सेव भते । जाव विहरइ ।। दसमो उद्देलो प्राउय-पदं ८६. जीवा णं भते किं सोवक्कमाउया ? निरुवक्कमाउया ? गोयमा । जीवा सोवक्कमाउया वि, निरुवक्कमाउया वि ।। १. स० पा०-तेण?ण जाव जघाचारणे। २ स० पा०-एव जहेव विज्जाचारणस्स नवर तिसत्तखुत्तो। ३. पण्णत्ते, सेस त चेव (अ, क, ख, ता, व, म,स)। ४. भ० ११५१ ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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