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________________ चोद्दसमं मत (अट्ठमो उद्देसो) ६४३ ६६. अणुत्तरविमाणाण भते । ईसिंपन्भाराए' य पुढवीए केवतिए "प्रवाहाए अतरे पण्णत्ते ? ० ___ गोयमा । दुवालस जोयणे अवाहाए अतरे पण्णत्ते ॥ १०० ईसिंपन्भाराए ण भते । पुढवीए अलोगस्स य केवतिए अवाहाए अतरे पण्णत्ते ? ० गोयमा | देसूण जोयण अवाहाए अतरे पण्णत्ते ।। रुक्खाणं पुणभव-पद १०१ एस ण भते | सालरुक्खे उण्हाभिहए तण्हाभिहए दवग्गिजालाभिहए कालमासे काल किच्चा कहि गमिहिति ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा । इहेव रायगिहे नगरे सालरुक्खत्ताए पच्चायाहिती। से ण तत्थ' अच्चिय-वदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहिय पाडिहेरे लाउल्लोइयमहिए यावि भविस्सइ ।। १०२ से ण भते । तोहितो अणतर उव्वट्टित्ता कहि गमिहिति ? कहिं उववज्जि हिति ? गोयमा | महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव' सव्वदुक्खाण अत काहिति ॥ १०३ एस ण भते । साललट्ठिया उण्हाभिहया तण्हाभिहया दवग्गिजालाभिहया कालमासे काल किच्चा' 'कहि गमिहिति ? • कहि उववज्जिहिति ? गोयमा | इहेव जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले" महेसरिए नगरीए सामलिरुक्खत्ताए पच्चायाहिति । से" ण तत्थ अच्चिय-वदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाडिहरे ° लाउल्लोइयमहिए यावि भविस्सइ॥ १०४ से ण भते । तोहितो अणतर उव्वट्टित्ता " कहिं गमिहिति ? कहिं उवव ज्जिहिति ? गोयमा | महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाण ° अत काहिति ॥ १. ईसि ° (अ, क, ख, ता, ब, म)। २ स० पा०—पुच्छा। ३ स० पा०-पुच्छा। ४. गच्छिहिति (अ, क, ख, स) ५ पच्चाहिति (ता, ब, म)। ६ तत्था (क, ता, ब)। ७ भ० २।७३ । ८ सालिलट्ठिल्लिया (ख), साललट्ठिल्लिया (ता) ६ स० पा०-किच्चा जाव कहिं । १० विज्झ° (क, ख, ता, ब)। ११ सा (अ, क, ख, ता, व, म, स)। १२ स० पा०-वदिय जाव लाउल्लोइय° । १३ स० पा०-सेस जहा साल रुक्खस्स जाव अत।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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