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भगवई १०५. एस णं भते । उवरलट्ठिया' उण्हाभिहया तण्हाभिहया दवग्गिजालाभिहया
कालमासे कालं किच्चा कहि गमिहिति ? ० कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! इहेव जबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पाडलिपुत्ते नगरे पाडलिरुक्खत्ताए पच्चायाहिति । से ण तत्थ अच्चिय-वदिय-पूडय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे
सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाडिहेरे लाउल्लोइयमहिए यावि° भविस्सइ ।। १०६. से ण भते । तोहितो अणतर उव्वट्टित्ता कहि गमिहिति ? कहि उववज्जि
हिति?
गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाण° अत काहिति ।। अम्मड-अंतेवासि-पद १०७ तेण कालेणं तेण समएण अम्मडस्स परिव्वायगस्स सत्त अतेवासिसया गिम्ह
कालसमयसि ५ जेट्ठामूलमासमि गगाए महानदीए उभगोकूलेण कपिल्लपुरानो
नगरानो पुरिमताल नयर सपट्ठिया विहाराए । १०८. तए ण तेसिं परिव्वायगाण तीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए
कचि देसतरमणुपत्ताण से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुब्वेण परिभुजमाणे झीणे ।। १०६. तए ण ते परिवाया झीणोदगा समाणा तण्हाए पारव्भमाणा-पारम्भमाणा
उदगदातारमपस्समाणा अण्णमण्ण सद्दावेति, सद्दावेत्ता एव वयासी-एव खलु देवाणुप्पिया ! अम्ह इमीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए कचि देसतरमणुपत्ताण से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुव्वेण परिभुजमाणे झीणे । त सेय खलु देवाणुप्पिया | अम्ह इमीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए उदगदातारस्स सव्वो समता मग्गण-गवेसण करित्तए त्ति कटट अण्णमण्णस्स अतिए एयमट्ठ पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए उदगदातारस्स सव्वओ समता मग्गण-गवेसण करेति, करेत्ता उदगदातारमलभमाणा दोच्च पि अण्णमण्ण सहावेति, सहावेत्ता एव वयासी-इहण्ण देवाणुप्पिया | उदगदातारो नत्थि त नो खलु कप्पइ अम्ह अदिण्ण गिण्हित्तए, अदिण्ण साइज्जित्तए, त मा ण अम्हे इयाणिं आवइकाल पि अदिण्ण गिण्हामो, अदिण्ण साइज्जामो, मा ण अम्ह तवलोवे भविस्सइ । त सेय खलु अम्ह देवाणुप्पिया ! तिदडए य कुडियायो य कचणियानो य करोडियायो य भिसियारो य छण्णालए य अकुसए य केसरियायो य पवित्तए य गणेत्तियाप्रो य छत्तए य वाहणायो य धाउरत्तानो य एगते एडित्ता गगं
१. उवरि० (अ, स)। २ स० पा०-किच्चा जाव कहिं । ३ स० पा०-वदिय जाव भविस्सइ ।
४. स० पा०-सेस त चेव जाव अतं । ५. स० पा०-एव जहा ओववाइए जाव
आराहगा।