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________________ मारसमं सतं (छट्ठो उद्देसो) ५६६ चदलेस्स आवरेमाणे-आवरेमाणे चिट्ठइ, त जहा--पढमाए पढमं भाग, बितियाए वितिय भाग जाव' पन्नरसेसु पन्नरसम भाग। चरिमसमये चदे रत्ते भवइ, अवसेसे समये चदे 'रत्ते वा विरत्ते वा" भवइ । तमेव सुक्कपक्खस्सो उवदसेमाणे-उवदसेमाणे चिट्ठइ, पढमाए पढम भाग जाव पन्नरसेसु पन्नरसम भाग । चरिमसमये चदे विरत्ते भवइ, अवसेसे समये चदे 'रत्ते वा विरत्ते वा५ भवइ । तत्थ ण जे से पव्वराहू से जहण्णण 'छह मासाण' उक्कोसेण बाया लीसाए मासाण चदस्स, अडयालीसाए सवच्छराण सूरस्स। ससि-प्राइच्च-पद १२५ से केणद्वेण भते ! एव वुच्चइ-चदे ससी, चदे ससी ? गोयमा | चदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो मियके विमाणे कता देवा, कतारो देवीओ, कताइ पासण-सयण-खभ-भडमत्तोवगरणाइ, अप्पणा वि य ण चदे जोइसिंदे जोइसराया सोमे कते सुभए पियदसणे सुरूवे । से तेणद्वेण गोयमा । एव वुच्चइ-चदे ससी, चदे° ससी ॥ १२६. से केणद्वेण भते । एव वुच्चइ-सूरे आदिच्चे, सूरे आदिच्चे ? गोयमा | सूरादिया ण समया इ वा आकलिया इ वा जाव" अोसप्पिणी इ वा उस्सप्पिणी इ वा । से तेणद्वेण" गोयमा | एव वुच्चइ-सूरे आदिच्चे, सूरे आदिच्चे ॥ चंद-सूराणं कामभोग-पदं १२७ चदस्स ण भते । जोइसिदस्स जोइसरण्णो कति अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो ? जहा दसमसए जाव नो चेव ण मेहुणवत्तिय । सूरस्स वि तहेव ।। १२८. चदिम-सूरिया ण भते । जोइसिंदा जोइसरायाणो केरिसए कामभोगे पच्चणु भवमाणा विहरति ? गोयमा । से जहानामए केइ पुरिसे पढमजोव्वणुट्ठाणबलत्थे पढमजोव्वणवाणबलत्थाए भारियाए सद्धि अचिरवत्तविवाहकज्जे" अत्थगवेसणयाए सोलसवास १. 'आवरेत्ता ण चिट्ठइ' त्ति वाक्यशेष (वृ)। ७ लेश्यामावृत्य तिष्ठतीति गम्यम् (व) । २ रत्ते य विरत्ते य (क)। ८. लेश्यामावृत्य तिष्ठतीति गम्यम् (वृ)। ३ तामेव (क, ख, ता, व, म)। ६ स० पा०-तेण?ण जाव ससी। ४ प्रतिपदादिष्विति गम्यते (व)। १० ठा० २।३८७-३८६ । ५. रत्ते य विरत्ते य (अ, ख, ता), रत्ते य ११. स० पा०-तेण?ण जाव आदिच्चे। विरत्ते वा (क, ब, म, स)। १२. भ० १०६०। ६. छम्मासारण (ता)। १३ अचिरवत्तावाहुज्जे (ता)।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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