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________________ ४३६ भगवई १४६. तए णं समणे भगव महावीरे उसभदत्तस्स माहणस्स देवाणदाए माहणीए तीसे य महतिमहालियाए इसिप रिसाए मुणिपरिसाए जइपरिसाए देवपरिसाए अणेगसयाए ग्रणेगसयवदाए अगसयवदपरियालाए ग्रोहवले इवले महत्वले अपरिमियबल-वीरिय-तेय-माहप्प - कति- जुत्ते सारय-नवत्थणिय-महुरगभीरकोचणिग्घोस-दुदुभिस्सरे उरे वित्थडाए कठे वट्टियाए सिरे समाइण्णाए अगरलाए श्रमम्मणाए सुव्वत्तक्खर सण्णिवाइयाए पुण्ण रत्ताए सव्वभासाणुगामिणीए सरस्सईए जोयणणीहारिणा सरेण श्रद्धमागहाए भासाए भासइ -- धम्म परिकहेइ० जाव' परिसा पडिगया || • I १५० तए ण से उस भदत्ते माहणे समणस्स भगवो महावीरस्स प्रतिय' धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टे उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समण भगव महावीर तिक्खुतो ग्रायाहिण पयाहिण करेइ, करेत्ता वढइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वदासी - एवमेय भते | तहमेय भते । प्रवितहमेय भते । ग्रसद्धिमेय भते । इच्छियमेय भते । पडिच्छियमेय भते । इच्छिय-पडिच्छियमेय भते । • - से जहेय तुभे वदह त्ति कट्ट उत्तरपुरत्थिम दिसिभाग प्रवक्कमति, अवक्कमित्ता सयमेव आभरणमल्लालकार ओमुयइ, प्रमुइत्ता सयमेव पचमुट्ठिय लोय करेइ, करेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगव महावीर तिक्खुत्तो प्रयाहिण -पयाहिण करेड', 'करेत्ता वदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता एव वयासी - प्रालित्ते णं भत्ते । लोए, पलित्ते ण भते । लोए, प्रालित्त पलित्ते ण भते । लोए जराए मरणेण य । O ॰॰से जहानामाए केइ गाहावई प्रगारसि भियायमाणसि जे से तत्थ भडे भवइ ग्रप्पभारे मोल्लगरुए, त गहाय आयाए एगतमत श्रवक्कमइ । एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए ग्राणुगामियत्ताए भविस्सइ | एवामेव देवाणुप्पिया ! मज्झ वि श्राया एगे भडे इट्ठे कते पिए मणुण्णे मणामे थेज्जे वेस्सासिए सम्मए वहुमए प्रणुमए भडकरडगसमाणे, मा ण सीय, मा ण उण्ह, मा ण खुहा, मा णं पिवासा, मा ण चोरा, मा ण वाला, मा ण दसा, मा ण मसया, मा ण वाइय-पित्तिय-सेभिय- सन्निवाइय विविहा रोगायका परीसहोवसग्गा फुसतु त्ति कट्टु एस मे नित्यारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए ग्राणुगामियत्ताए भविस्सइ । - इसिप रिसाए जाव | १ स० पा०२. मो० सू० ७१ ७६ ३ अतिए (ता) । ४, स० पा० - तिक्खुत्तो जाव नमसित्ता । ५. सं० पा० – जहा खदओ जाव से । ६ स० पा० - करेइ जाव नमसित्ता । ७. स० पा० - एव एएण कमेण जहा खदओ तहेव पव्वइओ ।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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